कोर्ट के आदेश बावजूद खुलेआम उड़ा रहे है धज्जियां, अभिभावकों को कर रहे है प्रताड़ित

रुकमणी बिड़ला में अभिभावकों का प्रदर्शन ....


कोर्ट के आदेश बावजूद खुलेआम उड़ा रहे है धज्जियां, अभिभावकों को कर रहे है प्रताड़ित


 



जयपुर 13अक्टूबर । एक तरफ सरकार है और दूसरी तरफ स्कूल संचालक है लेकिन लगता है कानून केवल आम जनता पर थोपे जाते है कानून की पालना के लिए ना सरकार की कोई जवाबदेही है ना निजी स्कूल संचालकों की कोई जवाबदेही है ऐसी स्थिति में कैसे प्रदेश के अभिभावकों को न्याय मिलेगा, जबकि इसी न्याय के लिये आज अभिभावक स्कूल, सरकार सहित कोर्ट तक कि ठोकरे खाने पर मजबूर हो रहा है लेकिन ना कोई देखने वाला देख रहा है और ना ही कोई सुनने सुन रहा है कैसे अभिभावकों को राहत मिले, एक तरफ कोरोना संक्रमण के चलते अगर राज्य की जनता मास्क ना पहने तो भी चालान केवल जनता का काटा है लेकिन किसी नेता या अधिकारी का चालान नही काटा जाता, ठीक उसी प्रकार कोर्ट आदेश दे रही है स्कूल और सरकार को लेकिन थोपा जा रहा है अभिभावकों पर।


इन्ही बातों को ध्यान में रखकर और निजी स्कूलों की गुंडागिर्दी को ध्यान में रखकर सोमवार को दुर्गापुरा स्थिर रुकमणी बिड़ला स्कूल के अभिभावक स्कूल के बाहर इकठ्ठा हुए और स्कूल प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया।


 


संयुक्त अभिभावक समिति के प्रवक्ता ईशान शर्मा ने बताया कि कोर्ट ने स्कूलों की फीस वसूली पर रोक लगा दी है लेकिन स्कूल संचालक कोर्ट के आदेश के बावजूद नोवी,दसवीं, ग्यारहवीं और बारवी क्लास के बच्चों की फीस सीबीएसई बोर्ड के रजिस्ट्रेशन के नाम पर वसूल रहे है फीस जमा नही करवाने की एवज में खुलेआम धमकियां दी रहे है कि उनका रजिस्ट्रेशन फर्म नही भरा जाएगा। जो सीधे सीधे कोर्ट की अवमानना बनती है। 



केवल यही नही पिछले 5 महीनों से अभिभावकों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार किया जा रहा है जैसे स्कूल संचालकों को केवल पेसो से मतलब है बच्चों की पढ़ाई से कोई मतलब ही नही बचा। सोमवार को रुकमणी बिड़ला स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक स्कूल संचालकों से मिलने के लिए एकत्रित हुए लेकिन वह नही मिले तो अभिभावकों ने नारे बाजी और प्रदर्शन किया। 


 


इस दौरान अनुराग व्यास, मंजू शर्मा, मनोज सक्सेना सहित अभिभावकों ने जानकारी दी कि स्कूल संचालक प्रतिदिन फोन पर फीस के लिए धमकी दे रहे है स्कूल आते है तो वह अंदर आने नही देते, संचालक जब भी फोन करते है तो वह मिलने के लिए स्कूल बुला लेते है। हम संचालकों के साथ वार्ता करना चाहते है लेकिन वह ना मिल रहे है ना जानकारी दे रहे है। इसके विपरीत फोनों पर धमकियां पे धमकियां दिलवाकर मानसिक प्रताड़ित कर रहे है। 


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