निर्बाध पंजीकरण नीति से कमजोर वर्ग को मिल रहा न्याय 

निर्बाध पंजीकरण नीति से कमजोर वर्ग को मिल रहा न्याय 



जयपुर, 9 अक्टूबर। मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत की पहल पर प्रदेश में प्रारंभ किए गए निर्बाध पंजीकरण की व्यवस्था से राजस्थान पुलिस द्वारा महिलाओं और बालिकाओं सहित समाज के कमजोर वर्ग के व्यक्ति की सुगमता से सुनवाई सुनिश्चित की जा रही है। साथ ही उनके परिवाद दर्ज कर न्याय दिलाने के लिए त्वरित और गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान पर विशेष बल दिया जा रहा है। राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप प्रदेश में महिला अत्याचारों के प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारण करने पर विशेष बल दिया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि वर्ष 2019 के अंत तक प्रदेश में महिला अत्याचारों से संबंधित प्रकरणों में से लगभग 92 प्रतिषत प्रकरणों का निस्तारण कर दिया गया। 


हालांकि पुलिस थानों में मामलों के निर्बाध पंजीकरण की नीति से समग्र रूप से दर्ज अपराधों की संख्या में वृद्धि हुई है लेकिन निर्बाध पंजीकरण की नीति से समाज के कमजोर वर्ग के व्यक्तियों का परिवाद दर्ज कराने का हौसला और पुलिस की कार्यवाही में विश्वास निरंतर बढ़ रहा है। इसका प्रमाण है कि दुष्कर्म के प्रकरणों में पूर्व में 30 प्रतिशत से भी ज्यादा प्रकरण पुलिस के बजाय कोर्ट के माध्यम से दर्ज होते थे लेकिन अब इनकी संख्या में कमी आई है और लगभग 13 प्रतिषत प्रकरण ही कोर्ट के माध्यम से दर्ज हो रहे हैं। 


राजस्थान पुलिस द्वारा राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप पीड़ित को न्याय दिलाने को प्राथमिकता देते हुए गुणवत्ता के साथ साथ त्वरित अनुसंधान को भी प्राथमिकता दी जा रही है। वर्ष 2018 तक दुष्कर्म के प्रकरणों में औसत अनुसंधान समय लगभग 278 दिन था जो अब घटकर लगभग 113 दिन रह गया है। इसे और कम करने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं । पंजीकरण पर रोक-टोक का सबसे ज्यादा खामियाजा महिलाओं, कमजोर वर्ग के व्यक्तियों, वृद्धजनों इत्यादि को भुगतना पड़ता था । अब निर्बाध पंजीकरण से इन सभी को अपने परिवाद दर्ज कराने में सुविधा हो गयी है। राज्य सरकार की यह प्रयास पीड़ित को राहत दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हो रहा है।


 राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में महिला अत्याचार व अपराध को रोकने की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। प्रत्येक जिले में पुलिस उप अधीक्षक स्तर के अधिकारी को लगाकर महिला अपराध अनुसंधान इकाइयों का गठन किया गया है। जघन्य अपराधों की प्रभावी मॉनिटरिंग करने के लिए पुलिस मुख्यालय की सीआईडी सीबी के तहत हीनियस क्राइम मॉनिटरिंग यूनिट का भी गठन किया गया है। पुलिस मुख्यालय तथा संभाग मुख्यालयों पर महिला अपराध अनुसंधान इकाइयां एवं हीनियस क्राइम मॉनिटरिंग यूनिट महिलाओं व जघन्य अपराधों के प्रकरणों में न्यायालय में साक्ष्यों का प्रभावी प्रस्तुतीकरण कर अपराधियों को सजा दिलाया जाना भी सुनिश्चित कर रही है। अलवर जिले में हुई आपराधिक घटनाओं की प्रभावी रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए अलवर जिले को कानून व्यवस्था की दृष्टि से 2 पुलिस जिलों में विभाजित किया गया है। 


 


 


उल्लेखनीय है कि अलवर जिले के थानागाजी गैंगरेप प्रकरण में प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अनुसंधान अधिकारी और उनकी टीम ने प्रकरण में एफएसएल एवं साइबर सेल की सहायता से तथ्य जुटाकर त्वरित अनुसंधान की कार्यवाही कर मात्र 16 दिन में अनुसंधान का कार्य पूर्ण कर इसे न्यायालय में पेश कर दिया। महानिरीक्षक जयपुर रेंज ने दिन-प्रतिदिन प्रकरण की मोनिटरिंग की। इस प्रकरण को केस ऑफिसर स्कीम के तहत सीओ ग्रामीण अलवर को जिम्मेदारी सौंपी गई । प्रकरण में न्यायालय द्वारा प्रतिदिन सुनवाई की गयी। अभियोजन पक्ष द्वारा पर्याप्त संख्या में गवाहों के बयान करवाए गए और आवश्यक सभी साक्ष्य दस्तावेज एवं आर्टिकल प्रदर्शित किए गए। इस मामले में की गई प्रभावी कार्यवाही के परिणाम स्वरुप बहुत कम समय मे ही सुनवाई पूर्ण होकर अपराधियों को दंडित किया गया है।


गोविन्द पारीक


संयुक्त निदेशक प्रचार


राजस्थान पुलिस


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