संयुक्त अभिभावक समिति ने कहा " या तो हमे न्याय तो नही तो मौत दो " 

" अभिभावक बोल " प्रदर्शन ....


बड़ी चौपड़ पर रोका तो अभिभावकों ने अल्बर्ट हॉल पर सरकार के खिलाफ फूंका पुतला


--- पुलिस और अभिभावकों में हुई कहा सुनी


--- पुलिस प्रशासन ने धारा 144 का हवाला देकर बड़ी चौपड़ पर नही करने दिया प्रदर्शन


--- संयुक्त अभिभावक समिति ने कहा " या तो हमे न्याय तो नही तो मौत दो " 



जयपुर 17 अक्टूबर । शनिवार को शहर के बड़ी चौपड़ पर संयुक्त अभिभावक समिति के तत्वाधान में स्कूल माफियाओं पर कार्यवाही की मांग और सरकार के बेरुखी के खिलाफ अभिभावक एकजुट हुए किन्तु पुलिस प्रशासन ने डरा-धमका कर धारा 144 के हवाला देकर प्रदर्शन नही करने दिया। इस दौरान मानक चौक एसएचओ जितेंद्र सिंह सहित आरएएस राजवीर सिंह भी मौके पर पहुंचे ओर काफी देर तक अभिभावकों बहस और समजाइस हुई किन्तु प्रदर्शन नही करने दिया। उसके बाद अभिभावकों ने अल्बर्ट हाल पर अपना विरोध प्रदर्शन किया और राज्य सरकार का पुतला फूंका। 



समिति प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि अभिभावक पिछले छ: महीनों से सड़कों पर उतरकर राहत मांग रहे है, भीख मांग रहे है, यहां के देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री सहित राजस्थान के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री तक को ज्ञापन दे चुके है यही नही निजी स्कूल संचालकों तक कि ठोकर खा ली उसके बावजूद ना सरकार सुन रही है ना स्कूल संचालक सुब रहे है। ऐसे में अभिभावक जाए तो जाए कहा, राजस्थान हाईकोर्ट ने भी सरकार से पूछा, स्कूलों से पूछा लेकिन कोई जबान नही उसके बावजूद आज अगर अभिभावक सड़कों पर उतरकर अपनी बात रखना चाहता है तो भी उनको बात रखने नही दी जा रही है एक तरफ स्कूल प्रशासन अभिभावकों को प्रताड़ित कर रहे है वही अब प्रशासन भी अभिभावकों को प्रताड़ित कर रहा है उन्हें धमकियां देकर अपनी बात तक रखने नही दे रहे है। क्या राज्य में अभिभावकों को अपनी बात रखने का कोई अधिकार नही है क्या देश नेताओ और प्रशासन का गुलाम हो गया है क्या राजस्थान की जनता गुलाम है जो पीड़ा तो सहन कर लेंवे नही आवाज नही उठा सकती। एक तरफ डॉक्टर अनशन पर बैठे है, गुर्जर समाज के लोग प्रदर्शन कर रहे उनको करने की अनुमति है लेकिन बेरोजगार, व्यापार से त्रस्त अभिभावक अगर राहत मांगे तो उनको कुछ भी करने की कही कोई इज्जात नही है। शनिवार को प्रदर्शन के दौरान शहर के 40 से अधिक स्कूलों के अभिभावकों से सहित मनोज जेसवानी, युवराज हसीजा, सर्वेश मिश्रा, चंद्रमोहन गुप्ता, एडवोकेट अमित छंगाणी, विकास अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, डॉ आयुषी शर्मा, पुनीत शर्मा, सुनील गुप्ता, कमलेश गोधवानी, हरिदत्त शर्मा सहित बड़ी संख्या में अभिभावक जुटे।



*स्कूल संचालक कोर्ट के आदेशो की अवहेलना कर रहे है कोर्ट के आदेशो की आखिर कौन करवाएगा पालना* 


 


प्रवक्ता अरविंद अग्रवाल और मनोज शर्मा ने कहा कि 7 सितम्बर को कोर्ट ने भले ही अभिभावकों का पक्ष नही सुना लेकिन फिर भी अभिभावकों ने कोर्ट के 70 फीसदी ट्यूशन फीस के आदेश का सम्मान किया, लेकिन निजी स्कूल संचालकों ने उसमे भी गली निकालकर अभिभावकों को लूटने का काम करते हुए फूल का 70 फीसदी फीस वसूलने का काम किया। उसके बाद 1 अक्टूबर को मुख्य न्यायाधिपति की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश पर फीस वसूलने पर रोक लगा दी उसके बावजूद निजी स्कूल संचालक अभिभावकों को धमकियां देकर, डराकर फीस वसूल रहे है। आखिर जब जनता पर कानून थोपे जाते है उसकी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होती है तो निजी स्कूलों पर कोर्ट के आदेशों की पालना करवाने की जिम्मेदारी किसकी है। 



*अगर राहत नही तो परिणाम भुगतने के तैयार रहे केंद्र और राज्य सरकार*


 


प्रवक्ता ईशान शर्मा और कोषाध्यक्ष संजय गोयल ने कहा कि आज अभिभावकों को अपनी बात रखने से रोका जा रहा है, धरना, प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है। ऐसे में अभिभावक आखिरकार जाए तो जाए कहा जब इस देश मे जनता का कोई अधिकार नही है उनको कोई राहत नही मिल सकती है तो क्यो अभिभावकों से टैक्स वसूला जाता है क्यो उनसे वोट मांगे जाते है। संयुक्त अभिभावक समिति की मांग है " या तो हमे न्याय दो नही तो हमे मौत दो " निजी स्कूल संचालक बच्चों के भविष्य को खराब करने की धमकी दे रहे है, सड़क पर आते है तो पुलिस प्रशासन अभिभावकों के भविष्य को खराब करने की धमकी दे रहे है। अगर अभिभावकों को अपने ही देश मे बोलने की आजादी नही है तो उनको गुलाम बनाने से अच्छा मोत दे दो, इस जिल्लत की जिंदगी जीने से अच्छा है अभिभावक कोरोना की मौत मर जाए। आज अभिभावक अपने ही देश मे पाकिस्तानी, आतंकवादी, नक्सवादी हो गए है।


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