सरोगेट मदर-किराए की कोख, एक पुण्य कार्य या ट्रैफिकिंग

सरोगेट मदर-किराए की कोख, एक पुण्य कार्य या ट्रैफिकिंग



         (लेखिका निवेदिता मुकुल सक्सेना झाबुआ


 


      वर्तमान में लगातार हो रही "चाइल्ड ट्रैफिकिंग" व वुमन्स  ट्रैफिकिंग "ने "सेरोगेट मदर "की ओर ध्यान खींचा जो बिना कानून की जानकारी के अभाव में आपराधिक रूप में सामने आया जिसका कुछ कारण हमारी कुरीतियां भी है।


 


हमारे समाज से कुछ प्रथा ऐसी बना दी जाती है जो कुछ समय बाद एक अपराध के रूप में उभर कर सामने आती है वही कही न कही निः संतान दम्पति उसमे भी मुख्यतः महिलाओं को दंश स्वरूप बांझ या अन्य गलत शब्दो के प्रयोग द्वारा सम्बोधित किया जाता रहा है।या फिर वंश चलाने के लिए ।जिससे वह एक मानसिक प्रताड़ना का शिकार होती रही ।



           वही विज्ञान की तकनीक नई खोज को जन्म देती है नाम है "सरोगेसी या किराए की कोख" जाहिर सी बात है जब दम्पति किन्ही कारणों से बच्चे को जन्म देने में असमर्थ होती है जैसे किसी का गर्भाशय निकल चुका या अंडाणु विकसित न हो तब उन्ही के किसी  महिला या रिश्तेदार के गर्भाशय में दम्पत्ति का स्पर्म व अंडाणु को ivf तकनीक से निषेचित कर भ्रूण महिला रिश्तेदार या अन्य महिला जिससे पूर्ण कानूनी कार्यवाही की जाती है के गर्भाशय में प्रवेशित कर दिया जाता जिससे वह महिला बच्चे को जन्म देने तक अपनी कोख में बच्चे का ध्यान रखती है ,ये माँ "सरोगेट मदर "कहलाती है, तथा जन्म के पश्चात वह दम्पत्ति को वह बच्चा दे देती है ।


 


      लेकिन व्यवसायीकरण के इस दौर में यह क़ई समस्याओं को जन्म दे रहा हालांकि 2016 में सरोगेट बिल पास हो चुका है लेकिन इस बिल को नजर अंदाज कर अधिकतर महिलाये या उनके परिवार के लोग व्यवसाय के रूप में ट्रैफिकिंग को अंजाम दे रहे जिसे हम "इंफेंट ट्रैफिकिंग" या "भ्रूण की तस्करी "भी कह सकते है।



      "सरोगेट मदर "एक मानवीय दृष्टिकोण को देखते हुए स्वीकार किया गया इसमे परिवार की खुशी को देखते हुए एक महिला किसी अन्य दम्पति के बच्चे को 9 महीने कोख में रखकर जन्म देती है वैसे इसमे कुछ गलत अवधारणाएं भी फैली हुई है जैसे जिस महिला के कोख में बच्चा पल रहा उसके "जीन्स "बच्चे में आ जाएंगे ,जबकि ऐसा नही है क्योंकि जिस दम्पति का बच्चा कोख में है उन्ही के स्पर्म व अंडाणु को आई वी एफ तकनीक से निषेचित किया जाता ,इसलये जीन्स भी उन्ही के रहेंगे सिर्फ भ्रूण को जगह एक अलग महिला के गर्भाशय में दी जाती है ।


 


     बहरहाल ,क़ई परिवार जो आर्थिक रूप से कमजोर है उनमें से महिलाये लाखो रुपये का सौदा कर सरोगेट मदर के रूप बच्चे जन्म देती है जो 3 साल में दो बार ये कार्य को अंजाम दे रही है।जिससे उनके शरीर तो कमजोर हो ही रहे साथ अपराध भी क्योंकि ये कार्य कानून को एक तरफ रखकर व्यवसाय की दृष्टि से ट्रैफिकिंग को जन्म दे रहा ।


 


     क़ई परिवार जिनके बेटियां ही है ,वह अपनी मर्जी से महिला जो प्राकृतिक रूप से बच्चे को जन्म दिलवा कर सरोगेट मदर नाम दे रहे ,ऐसे में क़ई बार धोखे का शिकार हो रहे जैसे महिला पहले से रुपये लेकर कही चली जाती या बात से मुकर जाती या फिर दम्पति ही अगर बच्चा निःशक्त पैदा होता,  या फिर लड़की पैदा होती तो छोड़ देते ,या नही अपनाते ऐसे में नुकसान महिला या बच्चे का होता ,और ये अपराध पुलिस द्वारा सामने नही आते क्योंकि ये गोपनीय तरीके से किये जाते है।



   इस प्रकार भ्रूण तस्करी व महिला तस्करी का कारोबार विदेश से भारत लोगो को खींचकर ल रहा विदेशी दम्पति भारत आकर सरोगेट मदर से बच्चा लेकर विदेश चले जाते ऐसे में पैसे ज्यादा मिलने के कारण क़ई महिलाये व्यवसाय के रूप में कानून का उल्लंघन करने लगी ।


 


     सरोगेट मदर क़ई बार बच्चा वापस लेने भी आ जाती है ।ऐसे में सफल और जीवन की सकारात्मकता की अपेक्षा अपराध ही पल रहा जो कारोबार के रूप में एक नही क़ई अपराध को जन्म दे रहा ।


 


    *जिम्मेदारी हमारी*


 


 2016 में केंद्र सरकार ने इन सभी समस्याओं को मद्दे नजर रखते हुए तथा सरोगेसी को सकारात्मकता प्रदान करते हुए "सरोगेट बिल "पारित किया जिसमें क़ई अहम बिंदुओं को कानून के दायरे में लेकर सही व गलत का निराकरण कर दिया।


 


   *वह दम्पति जिसे शादी के पांच वर्षों हो गए व बच्चा नही हुआ वह सरोगेसी का सहारा ले सकता है जिसमे न्यायिक गतिविधि साथ हो।


 


 *अगर किसी दम्पति के पहले ही बच्चा है वह इसको नही अपना सकता।


 


* विदेशी लोग भारत आकर सेरोगेट मदर नही अपना सकते।


 


*सरोगेट मदर करीबी रिश्तेदार हो।


 


*सिंगल पेरेंट्स जैसे कुछ सेलिब्रेटी अपने शौक के लिए भी सरोगसी का फायदा लिए अब तक वह भी ,साथ ही समलैंगिक को सरोगेसी मान्यता नही दी गयी।


 


*सरोगेट मदर भी एक बार ही सरोगेट मदर बन सकती बार बार नही।


 


         कुलमिलाकर सरोगसी बहुत फायदेमंद है निःसन्तान दम्पतियों के लिए कही न कही ट्रैफिकिंग को रोकने में कारगर भी है जरूरत है सरोगसी को समझ कर अपने परिवार में खुशियां लाने की।


सरोगेट मदर"-किराए की कोख, एक पुण्य कार्य या ट्रैफिकिंग"


 


      वर्तमान में लगातार हो रही "चाइल्ड ट्रैफिकिंग" व वुमन्स  ट्रैफिकिंग "ने "सेरोगेट मदर "की ओर ध्यान खींचा जो बिना कानून की जानकारी के अभाव में आपराधिक रूप में सामने आया जिसका कुछ कारण हमारी कुरीतियां भी है।


हमारे समाज से कुछ प्रथा ऐसी बना दी जाती है जो कुछ समय बाद एक अपराध के रूप में उभर कर सामने आती है वही कही न कही निः संतान दम्पति उसमे भी मुख्यतः महिलाओं को दंश स्वरूप बांझ या अन्य गलत शब्दो के प्रयोग द्वारा सम्बोधित किया जाता रहा है।या फिर वंश चलाने के लिए ।जिससे वह एक मानसिक प्रताड़ना का शिकार होती रही ।


बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया लंबी व जटिल होते देख लोग चाइल्ड ट्रैफिकिंग की ओर रुख कर रहे ।क्योंकि मेडिकल साइंस की नवीन तकनीक से हम अनजान रह जाते है जो कही न कही हमारे लिए फायदेमंद होती है।


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