शारदीय नवरात्रि - 2020 का वाहन ओर उसका प्रभाव 

शारदीय नवरात्रि - 2020 का वाहन ओर उसका प्रभाव 



इस वर्ष 17 अक्टूबर (शनिवार) को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है।


 इस दिन से शारदीय नवरात्र 2020 का शुभारम्भ होने जा रहा है। जो 25 अक्टूबर ( रविवार) को समाप्त हो जाएगा। यही वजह है कि इस बाद नवरात्र में 8 दिनों की पूजा और 9वें दिन वसर्जन हो जाएगा। अबकी बार पुरुषोत्तम मास की वजह से पितृपक्ष और नवरात्र के बीच में एक महीने का अंतराल आ गया है। 


इस वर्ष वर्तमान प्रमादी नामक संवत्सर के शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्लपक्ष प्रतिपदा का आरम्भ शनिवार को चित्रा नक्षत्र तथा चंद्रमा के तुला राशि के गोचर काल के समय में हो रहा है।  


प्रातः 07 बजकर 23 मिनट के बाद कलश स्थापन का मुहूर्त भी आरम्भ हो जाएगा। नवरात्रि पूरे नौ दिनों का होगा और मुहूर्त ग्रंथों के अनुसार महाष्टमी का व्रत 23 अक्तूबर 2020 (शुक्रवार ) को किया जाएगा। भारत अथवा विश्व के जिस कोने में 24 अक्तूबर को अष्टमी तिथि 48 मिनट तक व्याप्त रहेगी वहाँ पर अष्टमी 24 अक्तूबर को ही मानई जाएगी। स्थानीय सूर्योदय के अनुसार ही इस पर विचार किया जा सकता है। 17 अक्तूबर को पुण्यकाल दोपहर 01 बजकर 27 मिनट तक रहेगा इसके पहले कलश स्थापन व्रत संकल्प आदि कर लेना अति शुभ रहेगा। 


नवरात्र का आरंभ तुला संक्रांति के साथ हो रहा है। लेकिन इसके साथ ही इस वर्ष कुछ ऐसे भी संयोग बन गए हैं जिनको लेकर ज्योतिषी आशंकित हैं कि आने वाले एक साल में देश दुनिया में काफी उथल-पुथल हो सकता है। इन दिनों राहु केतु की स्थिति भी अनुकूल नहीं है । 


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है। ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं, इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है। पंडित शर्मा के अनुसार इस वर्ष देवी अश्व पर आ रही हैं जो कि युद्ध का प्रतीक होता है।


इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है। सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। किन्तु जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी। इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की अरााधना करें, व्रत करें एवं मां प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करें।


इस दिन इन वाहन पर आती हैं मां--


शनिवार के दिन आश्विन शुक्ल प्रतिपदा होने से मां दुर्गा का वाहन अश्व होगा। एक और संयोग यह भी कि वासंतिक नवरात्रि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2021 को भी माँ का वाहन अश्व ही रहेगा। इस प्रकार दो नवरात्रि में एक वाहन होने के कारण आने वाले एक वर्ष में देश दुनिया के लिए शुभ संकेत नहीं है। 


तुला राशि पश्चिम दिशा की स्वामिनी है शनिवार होने के फलस्वरूप शनि भी पश्चिम दिशा के स्वामी हैं और अश्व को भी इसी दिशा का कारक माना जाता है अतः पश्चिम के देशों में प्राकृतिक आपदा, अग्निकांड, आंधी-तूफ़ान, साम्प्रदायिकता और आतंकवाद जैसे घटनाओं का बोलबाला रहेगा। आपसी युद्ध और दो राष्ट्रों में भी युद्धोन्माद भड़केगा तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा बराबर बना रहेगा। जनता पर बेरोजगारी तथा महंगाई का बोझ और बढेगा।


शास्त्रों के अनुसार माँ दुर्गा प्रत्येक नवरात्रि पर्व के प्रथम दिन अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर अपने भक्तों को वरदान देने आती हैं उनके वाहन के अनुसार ही मेदिनी ज्योतिष के फलित का विश्लेषण किया जाता है।


शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे । गुरौ शुक्रे च डोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता'।


गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे । नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्।


अर्थात- रविवार और सोमवार को नवरात्रि का शुभारम्भ हो तो माँ दुर्गा का वाहन हाथी है जो अत्यंत जल की वृष्टि कराने वाला संकेत होता है। शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का शुभारंभ हो तो माँ का आगमन घोड़ा (तुरंग) पर होता जो राजा अथवा सरकार के परिवर्तन का संकेत देता है। गुरुवार और शुक्रवार को नवरात्रि का प्रथम दिन पड़े तो माँ का आगमन डोली में होता है जो जन-धन की हानि, तांडव, रक्तपात होना बताता है। यदि नवरात्रि का शुभारंभ बुधवार हो तो माँ दुर्गा 'नौका' पर विराजमान होकर आती हैं और अपने सभी भक्तों को अभीष्ट सिद्धि देती है।


इस प्रकार वर्तमान में 17 अक्तूबर शनिवार से आरंभ होने वाले नवरात्रि के दिन माँ दुर्गा घोड़े पर सवार होकर अपने भक्तों के घर आ रही हैं जो भक्ति की कठिन परिक्षा लेने वाली हैं। मां दुर्गा की वापसी में भैसें की सवारी करके जायेंगी।


  शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुजशोककरा । शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करीविकला ।।


बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभवृष्टिकरा । सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा ।।


अर्थात- रविवार और सोमवार को नवरात्रि का समापन हो तो माँ भैंसा की सवारी से जाती हैं जिससे देश में रोग और शोक बढ़ता है। शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का समापन हो तो माँ मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं। जो दुख और कष्ट की वृद्धि कराता है। बुधवार और शुक्रवार को नवरात्रि का समापन होने पर मां की वापसी हाथी पर होती है जो अति वृष्टि सूचक है जबकि गुरुवार को नवरात्रि समापन होने पर माँ भगवती मनुष्य के ऊपर सवार होकर जाती हैं जो सुख और शांति की वृद्धि होती है। इस प्रकार मां का आना और जाना दोनों ही अशुभ संकेत दे रहा।


नवरात्र का प्रारंभ यानी पहला दिन रविवार और सोमवार को पड़े, तब मां का वाहन हाथी होता है। मंगलवार और शनिवार को नवरात्र आरंभ हों तो अश्व यानी घोड़ा। वहीं बुधवार के दिन मां नौका पर विराजमान होकर भक्तों के घर आती हैं और गुरुवार और शुक्रवार को मां डोली में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देती हैं।


इस दिन इन वाहन पर जाती हैं मां---


नवरात्र का अंत यानी समापन रविवार और सोमवार को हो तो मां भैंसे की सवारी पर जाती हैं। मंगलवार और शनिवार को मुर्गे पर सवार होकर और बुधवार व शुक्रवार को हाथी पर विराजमान होकर वापसी करती हैं। वहीं गुरुवार के दिन नवरात्रि समापन हों तो मां मनुष्य को अपना वाहन मानकर यानी उन पर सवार होकर वापस जाती है।


2020 शारदीय नवरात्र पर माता का वाहन---


देवी भाग्वत पुराण में जिक्र किया गया है कि


 ‘शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥


इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है। अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी।


शनिवार और मंगलवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी कलश स्थापना हो तब माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं। बुधवार के दिन नवरात्र पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरुढ़ होकर आती हैं।


 इस वर्ष को शारदीय नवरात्रि पर मां घोड़े को अपना वाहन बनाकर धरती पर आएंगी. इसके संकेत अच्छे नहीं हैं. माना जाता है कि घोड़े पर आने से पड़ोसी देशों से युद्ध,सत्ता में उथल-पुथल और साथ ही रोग और शोक फैलता है. बता दें कि इस बार मां भैंसे पर विदा हो रही है और इसे भी शुभ नहीं माना जाता है.


जानिए दुर्गा के वाहन का प्रभाव----


अबकी शारदीय नवरात्र का आरंभ शनिवार को हो रहा है। ऐसे में देवीभाग्वत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार माता का वाहन अश्व होगा। अश्व पर माता का आगमन छत्र भंग, पड़ोसी देशों से युद्ध, आंधी तूफान लाने वाला होता है। ऐसे में आने वाले साल में कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल हो सकता है। सरकार को किसी बात से जन विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। कृषि के मामले में आने वाल साल सामान्य रहेगा। देश के कई भागों में कम वर्षा होने से कृषि का हानि और किसानों को परेशानी होगी।


इस शारदीय नवरात्र एक ही वाहन पर होगा आगमन --


वैसे तो मां भगवती का वाहन शेर है लेकिन मां हर साल नवरात्र के दिनों में अलग-अलग वाहन से भक्तों को दर्शन देने आती हैं। देवी भगवती पुराण के अनुसार, मां दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, वह आने वाली घटनाओं के संकेत देती हैं। जैसे इस बार मां का आगमन अश्व यानी घोड़े पर हो रहा है और वापसी मां भैंसे पर करेंगी। साथ ही यह भी एक संयोग है कि चैत्र में आने वाली नवरात्रों में भी मां अश्व पर ही विराजमान होकर पृथ्वी पर आएंगी।


यह रहेगा देश-दुनिया की रहेगी स्थिति ---


ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस प्रकार दो नवरात्रों में एक ही वाहन पर आने से यह शुभ संकेत नहीं है। नवरात्र शनिवार को शुरू हो रहे हैं और शनि पश्चिम दिशा के स्वामी हैं और घोड़े को भी इस दिशा का कारक माना गया है। इस वजह से पश्चिमी देशों में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे प्राकृतिक आपदा, आंधी-तुफान या फिर आतंकवादी जैसी घटना से परेशान हो सकता हैं। साथ कोरोना जैसी महामारी फिर से अपना प्रचंड रूप ले सकती है।


दिन : तिथि : देवी मां : दिनांक : सप्ताह का वार नवरात्रि दिन 1 : प्रतिपदा : मां शैलपुत्री पूजा व घटस्थापना : 17 अक्टूबर 2020 : शनिवार —: मां शैलपुत्री पूजा - यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है। मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं।


दिन का रंग: प्रतिपदा- पीला रंग नवरात्रि दिन 2 : द्वितीया : मां ब्रह्मचारिणी पूजा : 18 अक्टूबर 2020 : रविवार —: मां ब्रह्मचारिणी पूजा - ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।


दिन का रंग: द्वितीया- हरा रंग नवरात्रि दिन 3 : तृतीया : मां चंद्रघंटा पूजा : 19 अक्टूबर 2020 : सोमवार —: मां चंद्रघंटा पूजा - देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।


दिन का रंग: तृतीया- भूरा रंग नवरात्रि दिन 4 : चतुर्थी : मां कुष्मांडा पूजा : 20 अक्टूबर 2020 : मंगलवार —: मां कूष्मांडा पूजा - मां कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।


दिन का रंग: चतुर्थी- नारंगी रंग नवरात्रि दिन 5 : पंचमी : मां स्कंदमाता पूजा : 21 अक्टूबर 2020 : बुधवार —: मां स्कंदमाता पूजा - देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।


दिन का रंग: पंचमी- सफेद रंग नवरात्रि दिन 6 : षष्ठी : मां कात्यायनी पूजा : 22 अक्टूबर 2020 : गुरुवार —: मां कात्यायनी पूजा - देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं।


दिन का रंग: षष्टी- लाल रंग नवरात्रि दिन 7 : सप्तमी : मां कालरात्रि पूजा : 23 अक्टूबर 2020 : शुक्रवार —: मां कालरात्रि पूजा - देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।


दिन का रंग: सप्तमी- नीला रंग नवरात्रि दिन 8 : अष्टमी


: मां महागौरी


 


(दुर्गा महा अष्टमी पूजा


 


दुर्गा महा नवमी पूजा)


 


: 24 अक्टूबर 2020 : शनिवार —: मां महागौरी पूजा - देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।


दिन का रंग: अष्टमी- गुलाबी रंग नवरात्रि दिन 9 : नवमी


: मां सिद्धिदात्री


 


(नवरात्रि पारणा


विजय दशमी)


 


: 25 अक्टूबर 2020 : रविवार


MUST READ : विजया दशमी 2020 - इस साल दशमी 26 अक्टबूर को, लेकिन श्रीराम के हाथों 25 अक्टबूर को ही हो जाएगा रावण का संहार ...


 


—: मां सिद्धिदात्री पूजा - देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।


 


दिन का रंग: नवमी- बैंगनी रंग नवरात्रि दिन 10 : दशमी : दुर्गा विसर्जन : 26 अक्टूबर 2020 : सोमवार


भारत भी होगा प्रभावित इस वाहन के असर से--


अमेरिका और चीन में ज्यादा तनाव हो सकता है, जिसका खामियाजा पश्चिमी देशों को भुगतना पड़ सकता है। साथ ही तुर्की और फ्रांस के संबंधों में ज्यादा गिरावट आ सकती है। इसके साथ ही साम्प्रदायिकता और युद्ध जैसा खतरा बना रहेगा। इसका असर भारत पर भी देखने को मिलेगा। जनता को बेरोजगारी और मंहगाई जैसी समस्याएं परेशान कर सकती हैं।


पंडित दयानन्द शास्त्री  के अनुसार इस वर्ष देवी अश्व पर आ रही हैं जो कि युद्ध का प्रतीक होता है।


इससे शासन और सत्ता पर बुरा असर होता है। सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। किन्तु जिन लोगों पर देवी की विशेष कृपा होगी उनके अपने जीवन में अश्व की गति के सामान ही सफलता की प्राप्ति होगी। इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की अरााधना करें, व्रत करें एवं मां प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश करें।


इस वर्ष 2020 में शारदीय नवरात्र का आरंभ शनिवार को हो रहा है। ऐसे में देवीभाग्वत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार माता का वाहन अश्व होगा। 


अश्व पर माता का आगमन छत्र भंग, पड़ोसी देशों से युद्ध, आंधी तूफान लाने वाला होता है। ऐसे में आने वाले साल में कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल हो सकता है। सरकार को किसी बात से जन विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है।


कृषि के मामले में आने वाल साल सामान्य रहेगा। देश के कई भागों में कम वर्षा होने से कृषि का हानि और किसानों को परेशानी होगी।


भारत देश के लिए ऐसी रहेगी मां की वापसी--


मां भगवती की वापसी भैंसे से हो रही है, यह शुभ संकेत नहीं माना गया है। ऐसे में अगले एक साल तक देश में रोग और शोक बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। साथ ही देश कई तरह की समस्याओं से घिरा रह सकता है। भारत-पाक और भारत-चीन के रिश्ते और खराब हो सकते हैं। अर्थव्यवस्था के लिए भी यह शुभ नहीं है।


दुर्गा मां इस पर नवरात्रि घोड़े पर आ रही हैं औऱ इसके संकेत अच्छे नहीं है, ऐसे में कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. इसलिए नवरात्रि के दौरान पूरे मन से देवी की अराधना करें,व्रत करें ताकि देवी मां आपके सारे दुखों को कम कर दें।


Comments

Popular posts from this blog

मंत्री महेश जोशी ने जूस पिलाकर आमरण अनशन तुड़वाया 4 दिन में मांगे पूरी करने का दिया आश्वासन

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को बंपर सीटें

उप रजिस्ट्रार एवं निरीक्षक 5 लाख रूपये रिश्वत लेते धरे