तिरंगे का अपमान कब तक सहेगा हिंदुस्तान 

तिरंगे का अपमान कब तक सहेगा हिंदुस्तान 


                             प्रोफे. डां. तेजसिंह किराड़


                (वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक) 


किसी के राष्ट्रीय संवैधानिक प्रतीक चिन्हों का अपमान सरासर एक राष्ट्रद्रोह का अपराध हैं और ऐसे दोषियों को खुली हवाओं में नहीं वरन सलाखों के पीछे रखा जाना चाहिए।


 काश्मीर की जन्नत को दुनिया में रोशन करने वाले काश्मीरवासियों का बलिदान,त्याग,राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रीय अखंडता को तोड़ने वालों पर तथा तिरंगे का अपमान करने वाले चंद फूटनीति करने वाले ऐसे जयचंदी अलगाववादियों को जेल की सलाखों के पीछे हमेंशा के डाल देना चाहिए। जो अबतक काश्मीर ने और देश के भारतीयों ने सहन किया वह पुनर्रावृति अब काश्मीर की नई पीढ़ी के साथ कतई नहीं दोहराई जाना चाहिए। 


------------------------------


 बचपन में काश्मीर को किताबों में हम सबने पढ़ा फिर सबको काश्मीर देखने,घुमने और समझनें का सौभाग्य भी मिला। प्रकृति की सुरम्य वादियों में रचा बसा काश्मीर भारत का सुन्दर मस्तक हैं। काश्मीर को जो यातना और अपमान सहना पड़ा हैं वह एक इतिहास बनकर आज भी भारतवासियों के सीनें में एक टीस बनकर दर्द दे रहा हुआ है और इस टीस व दर्द का नाम हैं अलगाववादियों का बार-बार काश्मीरवासियों को हिंसा के मुंह में झोंकना। ये देशद्रोही और कोई नहीं काश्मीर में सत्ता का सुख भोग चुकें ऐसे लोग हैं जो काश्मीर में 370 को लेकर फिर से बखेडा करके देश और दुनिया को गलत संदेश देने पर तूलें हुए हैं। मेहबूबा मुफ्ती आज तिरंगे का अपमान करके जनमान की भावनाओं को भड़कानें का काम रही हैं। वहीं उमर और फारूख अब्दुल्ला गंदी राजनीति का स्वांग रचकर प्रगतिशील काश्मीरवासियों के बीच फूट डालकर दोहरा चरित्र दुनिया के सामने दिखा रहें हैं। मेहबूबा मुफ्ती जैसे अलगाववादियों को देश के तिरंगे का अपमान करने का कोई हक और अधिकार नहीं हैं। आज तिरंगे का अपमान किया कल कुछ और बोलेगें फिर कुछ और बोलकर देशवासियों के बीच जहर घोलनें का काम मौकापरस्त पाक और जेहादियों के ईशारें पर हुडदंग मचाऐगें। इससे तो बेह्तर यही हैं कि देश की राष्ट्रीय अखंडता को प्रेम करने वाले काश्मीरवासियों ने ही ऐसे दोहरें चरित्रवालों को मुंह तोड़ जवाब देना होगा। काश्मीर में पंचायती चुनाव का शंखनाद हो चुका हैं। जनता ने विकास के महत्व को करीब से समझ लिया हैं। युवाओं ने भी अपने सुनहरें भविष्य को संवारनें में जी जान लगा दी हैं। दुनिया ने काश्मीर की शांति और जनता के अमन सुख चैन को पहचान लिया है ऐसे में उमर,फारूख और मेहबूबा जैसे नेताओं की राजनीति लगभग खत्म हो चुकी हैं। काश्मीर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में एक नया काश्मीर जन्म ले रहा हैं। केन्द्र सरकार ने उन्मुक्त रूप से काश्मीर के रहवासियों को हर तरह की उन्नति, प्रगति और विकास की परिभाषाओं से परिचित कराकर दशकों पुरानें दर्द को दफन कर दिया हैं। अब ना कोई 370 को कोई रोड़ा हैं और ना ही अलगाववादियों की दहशतगर्दी ही हैं। चारों तरफ अमन और जिंदगी को नई उड़ान देने में हर एक युवा व महिला-पुरूष कंधे से कंधा मिलाकर देशद्रोहियों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। कलतक सेना पर पत्थर मारने वाले आज सेना के सहयोग के कसीदें कस रहें हैं। पाक के ईशारें पर आंतकवादियों को शह देने वाले आज खुद ही आतंकवादियों के शिकार होकर बर्बाद हो चुके हैं। पाक की भाषा बोलने वाले आज जेलों में चक्की पीस रहें हैं। दोगली राजनीति करने वाले नेताओं के साथ आज उनकी ही गली मोहल्लों के चंद लोग भी साथ में नहीं हैं। विदेशों से फंडिंग लेने वाले भूखों मरने की कगार पर पहुंच चुकें हैं ऐसे में काश्मीर में 370 को याद करके मेहबूबा अब अपना दुखड़ा किसे दिखाना चाह रही हैं। इतिहास बदल चुका हैं। इतिहास के पन्नों से 370 हमेंशा के लिए दफन हो चुका हैं। एक राष्ट्र एक नागरिकता एक झंड़ा और एक संविधान के तहत काश्मीर आज खुली हवा में सांसें ले रहा हैं। किन्तु मेहबूबा को यह नहीं भूलना चाहिए कि अब तिरंगें का अपमान कोई भी काश्मीरवासी सहन करने वाला नहीं हैं ऐसे में मेहबूबा व उमर,फारूख अब्दुल्ला को शेष राजनीति जीवन की नई शुरुवात किसी पुराने दफन इतिहास को याद करने के बजाय नये काश्मीर की आहों हवाओं के साथ करना होगी वरना तिरंगें के अपमान में शायद काश्मीर की खुली हवा की सांसें भी उन्हें ना गुजार लगने लग सकती हैं। समय तेजी से बदल रहा हैं। भारत ने दुनिया की एक नई महाशक्ति बनने की और तेजी से कदम आगे बढ़ा दिए हैं। पूरा देश राष्ट्रीय हितों और महत्व के नियोजनों में दुनिया को अपना लोहा मनवा चुका हैं। यहां तक कि देश की हर एक राष्ट्रीय पार्टी भी भारत को तेजी से आगे बढ़ते हुए देखना चाहने लगी हैं। कल का भारत आज नहीं हैं और आज का भारत कल जैसा नहीं रहने वाला हैं। चीन जैसी महाशक्ति को भारत से युध्द करने में सैकड़ों बार सोचना पड़ रहा हैं यह भारत की अबतक की सबसे बड़ी उपलब्धि हैं। वरना चीन जैसे घाघ और दोगले विस्तारवादी देश को आज पूरी दुनिया में मुंह की खाना पड़ी हैं। भारत आज कई महाशक्ति देशों का परम मित्र बन चुका हैं। दुनिया के देशों कि सत्ता बदले या यथावत रहे किन्तु भारत के साथ दुनिया के कई देशों का हर प्रकार का सहयोग सदैव मिलता रहेगा। मेहबूबा और बाप- बेटे अबदुल्लाओं को भारत की यह सब ऐतिहासिक उपलब्धि और प्रगति गले के नीचे नहीं उतर पा रही हैं। ऐसे में इन तीनों ने भारत के सम्मान और संवैधानिक शौर्य प्रतीक तिरंगें को निशाना बनाकर भारतवासियों की भावनाओं के दिल पर बहुत बड़ी चोट की हैं। पूरा देश और दुनिया बखुबी जानती हैं कि यह वहीं मेहबूबा मुफ्ती हैं जिन्हें आतंकवादियों ने एक सोची समझी साजिश के तहत अपहरण करके बदलें में खूंखार तीन आतंकवादियों को अटलजी पर दबाव डलवाकर रिहा करवाया गया था। तब देश के भारतवासियों ने एक बहुत बड़ा समझौता करके मेहबूबा के प्रति राष्ट्रप्रेम और राष्ट्र के प्रति बलिदान दर्शाया था। तब उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद को देश की आनबान और शान पर गर्व भी महसूस हुआ था। मेहबूबा को आतंकवादियों के बदले जो देश ने त्याग किया था आज उसकी कीमत मेहबूबा राजनीति का गंदा खेल खेलकर आज करोड़ों -करोड़ों भारतीयों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके अपमानित कर रही हैं मेहबूबा को निकट भविष्य में राजनीति के क्षेत्र में तिरंगें का अपमान बहुत भारी पड़ सकता हैं।


Comments

Popular posts from this blog

मंत्री महेश जोशी ने जूस पिलाकर आमरण अनशन तुड़वाया 4 दिन में मांगे पूरी करने का दिया आश्वासन

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को बंपर सीटें

उप रजिस्ट्रार एवं निरीक्षक 5 लाख रूपये रिश्वत लेते धरे