संयुक्त अभिभावक संघ ने मुख्यमंत्री के नाम 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन पत्र जयपुर जिलाधीश को दिया

संयुक्त अभिभावक संघ ने मुख्यमंत्री के नाम 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन पत्र जयपुर जिलाधीश को दिया


--- शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के निवास स्थान पर भी दिया ज्ञापन


--- सचिवालय भवन में प्रिंसिपल सेकेट्री अर्पणा अरोड़ा को भी दिया ज्ञापन


जयपुर 20 नवंबर । स्कूल फीस पर चल रहे फसाद पर संयुक्त अभिभावक संघ ने आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है, इस बार संयुक्त अभिभावक संघ ने एक बार पुनः ज्ञापन देने का दौर शुरू करते हुए शुक्रवार को राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम जयपुर जिलाधीश को ज्ञापन दिया। जयपुर जिलाधीश के अवकाश पर रहने के दौरान एडीएम प्रथम इकबाल खान ने संयुक्त अभिभावक संघ के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात कर ज्ञापन लिया और सरकार तक अभिभावकों की मांगों को पहुंचाने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधि मंडल में अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल, महामंत्री संजय गोयल, मंत्री युवराज हसीजा व मनोज जसवानी, लीगल सेल अध्यक्ष एडवोकेट अमित छंगाणी, प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू और सदस्य राजेन्द्र भवसार सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे। शनिवार को देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को रजिस्टर्ड डाक से ज्ञापन भेजा जाएगा साथ ही राज्य के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री से भी मुलाकात के लिए समय मांगा गया है। 


प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार को संयुक्त अभिभावक संघ ने 3 दिनों के अल्टीमेटम के साथ ज्ञापन देने का दौर शुरू किया है, इस ज्ञापन में पिछले 8 महीनों में अभिभावकों ने जिन-जिन पीड़ाओं का सामना किया है, निजी स्कूल संचालकों की मनमर्जी झेली और राज्य सरकार की अभिभावकों की बेरुखी देखी उस सभी बातों को ध्यान में रखकर यह 15 सूत्रीय मांग पत्र तैयार किया गया। शुक्रवार को कलेक्टर ऑफिस सहित राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा के निवास स्थान पर मुलाकात करने गए थे किंतु मंत्री जी नही मिले तो उनके स्टाफ को ज्ञापन पत्र भेंट किया गया। इसी तरह कांग्रेस के एआईसीसी सदस्य संजय बापना को भी ज्ञापन पत्र भेंट किया गया साथ ही  राज्य की प्रिंसिपल सेकेट्री शिक्षा विभाग अर्पणा अरोड़ा को भी ज्ञापन उनके पिए के द्वारा दिया गया। 



*15 सूत्रीय मांगों में सबसे अहम ट्यूशन फीस केवल 25 फीसदी लेने की बात*


1) कोरोना महामारी में बंद रहे निजी स्कूलों की केवल 25 फीसदी ही ट्यूशन फीस निर्धारित की जाए। सभी अतिरिक्त चार्ज जिसका उपयोग अभिभावकों और बच्चो ने नही किया वह खत्म की जाए। 


2) ऑनलाइन क्लास की सर्व प्रथम गाइडलाइन जारी की जाए। जिसमे फीस, समयसीमा और निगरानी तय की जाए।

* स्कूल, टीचर व बच्चो की निगरानी सुनिश्चित की जाए।


3) वर्ष 2016 के एक्ट की पालना सुनिश्चित की जाए।


4) वर्तमान हालात को देखकर प्रत्येक स्कूल की सभी तरह की फीस व्रद्धि पर अगले 5 साल तक रोक लगाई जाए।


5) सभी तरह के शिक्षा बोर्डो (RBSE, CBSE, IB, ICSE एवं अन्य) का स्लेबर्स एक सामान निर्धारित किया जाए। 


6) शिक्षा बोर्डो में होने वाले रजिस्ट्रेशन, फीस एवं एक्जाम की तारीख का निर्धारण कोर्ट निर्णय के अनुसार किया जाए। 


7) निजी स्कूलों में ट्रांसफर सेटेफिकेट की बाध्यता को समाप्त किया जाए। 


8) इस वर्ष का सेशन किन्ही कारणों से " जीरो " सेशन निर्धारित होता है तो अभिभावकों द्वारा किसी भी मद में दी गई फीस को अगले वर्ष में समायोजित की जाए। 


9) निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई सुनिश्चित की जाए।


10) सरकारी एवं RTE के तहत निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के संसाधन सरकार और स्कूलों द्वारा उपलब्ध करवाए जाए। 


11) निजी स्कूलों के रिजर्व फंड/सरप्लस एवं सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता को सार्वजनिक की जाए। 


12) सभी निजी स्कूलों की ट्यूशन फीस का निर्धारण फूल फीस में परसेंटेज के आधार पर निर्धारित की जाए। 


13) वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर एवं अन्य राज्यो व देशों को ध्यान में रखकर ही स्कूलों को खोलने के आदेश दिए जाएं। 


14) जब तक कोरोना महामारी का इलाज सुनिश्चित नही हो तब तक स्कूल खोलने के आदेश ना दिए जाए एवं जिससे जो देश का भविष्य बच्चो में निहित है वह खराब ना होंवे।


15) इन सभी मांगों की क्रियान्वती, निगरानी एवं जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा एक एजेंसी (समिति) का गठन रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में की जाए।

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