8 महीनों से स्कूल नही खुले, उसके बावजूद पाठ्यक्रम कम करने का खेल रचकर स्कूलों संचालकों को अभिभावकों को लूटने का लाइसेंस बांट रही है सरकार - संयुक्त अभिभावक संघ

8 महीनों से स्कूल नही खुले, उसके बावजूद पाठ्यक्रम कम करने का खेल रचकर स्कूलों संचालकों को अभिभावकों को लूटने का लाइसेंस बांट रही है सरकार - संयुक्त अभिभावक संघ


--- संघ का आरोप - " पहले 70 फीसदी, फिर 60 फीसदी और अब 50 फीसदी पाठ्यक्रम कम " अभिभावक स्कूल संचालकों की फीस वसूली से त्रस्त है जिस पर सरकार और प्रशासन अभिभावकों को राहत देने पर ध्यान ही नही दे रही




 *संयुक्त अभिभावक संघ  सोमवार से धरने पर*


जयपुर 29 नवंबर । कोरोना महामारी जैसी विकट परिस्थिति से पूरा देश गंभीर दौर से गुजर रहा है, इस महामारी का जहां सबसे ज़्यादा असर पढ़ाई पर देखा जा रहा है उससे भी कही अधिक अभिभावकों को इस महामारी का असर देखने को मिल रहा है, पिछले आठ महीनों से इस सीजन की किसी भी तरह की पढ़ाई नही हो पाई है इन आठ महीनों में एक दिन भी बच्चे स्कूल नही गए है मात्र 3 महीनों का इस वर्ष का सीजन बचा है और अभी तक राज्य सरकार और प्रशासन यह तय नही कर पाया है कि इस सीजन में कितनी पढ़ाई होगी। लॉकडाउन समाप्त करने के बाद राज्य सरकार और प्रशासन ने वर्ष 70 फीसदी सिलेबस की घोषणा की जो अब घटते-घटते 50 फीसदी पर आ रही है। जबकि इस समय जो विवाद चल रहा है वह फीस को लेकर है जो पिछले आठ महीनों से चले आ रहा है जिस पर संयुक्त अभिभावक संघ ने केंद्र, राज्य सरकार सहित सभी बोर्डो, प्रशासनिक अधिकारियों तक को ज्ञापन देकर राहत की मांग की किन्तु राज्य सरकार अभिभावकों को राहत देने के बजाय निजी स्कूल संचालकों को फीस वसूली के लिए लगातार गली निकाल-निकाल कर दे रही है जिससे प्रदेश का अभिभावक आक्रोशित है। 



संयुक्त अभिभावक संघ कोषाध्यक्ष सर्वेश मिश्रा और संगठन मंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि पाठ्यक्रम का स्वांग रचकर राज्य सरकार और प्रशासन निजी स्कूल संचालकों को पीठ पीछे संरक्षण देकर अभिभावकों को लूटने की साजिश रच रही है। 8 महीनों का सीजन खत्म हो चुका है नवां महीना जारी है उसमें भी पढ़ाई नही होनी है उसके बाद मात्र 3 महीनों का सीजन बचा है। ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग के अधिकारी अभिभावकों के साथ ही क्यो स्वांग रच रहे है। एक तरह राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चो की पढ़ाई अभी तक सुनिश्चित नही कर पाई है, वही दूसरी तरफ निजी स्कूल संचालकों को संरक्षण देने के लिए तरह-तरह के स्वांग रचे जा रहे है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का स्वांगों का फायदा उठाकर निजी स्कूल संचालक अभिभावकों पर दबाव बना रहे है, खुलेआम धमकियां दे रहे है। जिसकी लगातार शिकायत तक कि गई किन्तु सरकार और प्रशासन ने भी प्रदेश के 3 करोड़ अभिभावकों को ठगने का मानस बना रखा है। 

*स्थिति को स्पष्ट करने के बजाय, बिगाड़ने पर उतारू है सरकार*

संगठन मंत्री चन्द्रमोहन गुप्ता ने जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के चलते पढ़ाई, अभिभावक और स्कूलों के विवाद में राज्य सरकार की उपस्थिति शून्य रही है। राज्य सरकार की भूमिका केवल निजी स्कूल व्यापारियों के प्रति रही है जिसका सबसे बड़ा कारण भाजपा और कांग्रेस के बड़े-बड़े स्कूलों में हिसेदारी होना है, बहुत सारे नेता और उनके रिश्तेदार है जिनकी इन निजी स्कूलों में हिसेदारी जगजाहिर है। जिसके चलते राज्य सरकार इन स्कूलों के दबाव में है। जिसके चलते राज्य सरकार अभिभावकों की मांगों को दरकिनार कर रही है। 

*संयुक्त अभिभावक संघ और अभिभावक सोमवार से धरने पर*

प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश का अभिभावक केवल निजी स्कूलों की हठधर्मिता का शिकार नही हो रहा है बल्कि राज्य सरकार भी अपनी हठधर्मिता दर्शा कर अभिभावकों के हितों से खिलवाड़ कर रही है। बिना अभिभावकों की उपस्थिति में राज्य सरकार निजी स्कूल संचालकों से वार्ता कर अभिभावकों को लूटने का लाइसेंस देती है और उसके बाद शिक्षा मंत्री बाहर भाषणबाजी कर कोर्ट का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते है। आज आठ महीनों से अभिभावक दर-दर भटक रहा है, गिड़गिड़ा रहा है लेकिन सरकार अभिभावकों की सुनने के बजाय स्कूलों माफियाओ को संरक्षण दे रही है। स्कूल भले ही करोड़ो का चन्दा देते हो, लेकिन अभिभावक के पास लोकतंत्र का सबसे बड़ा चन्दा वोट है उसे देता है। 

अभिषेक जैन ने जानकारी देते हुए कहा कि गत दिनों 15 सूत्रीयों मांगों का मांग पत्र राज्य सरकार को दिया गया था उन्ही मांगों को लेकर संयुक्त अभिभावक संघ सोमवार से जयपुर के शहीद स्मारक, गवर्मेन्ट हॉस्टल पर प्रातः 11 बजे से अपना सामूहिक धरना प्रारम्भ करेगा।

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