सेना के निशाने पर आतंकी और उनके आकांओं के गढ़

 सेना के निशाने पर आतंकी और उनके आकांओं के गढ़ 



                     प्रोफे. डां. तेजसिंह किराड़ 

               (वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक)

पीओके से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों से पाक लगभग दो सौ पचास आतंकवादियों को भारत की सीमा में प्रवेश करवाने की तैयारी में जुटा हुआ हैं। हर तरफ से हताश और निराश बौखलाया पाकिस्तान अपनी बर्बादी की एक नई कहानी स्वयं ही लिखने पर आमादा हो चुका हैं। भारतीय सेना ने भी प्रण कर रखा हैं कि सर्दी की बर्फबारी हो या सिहरन और कपा देने वाली कड़ाके की ठंड ही क्यों ना हो सीमापार से ना तो आतंकवादियों के मनसूबे पूरे हो सकेगें और ना ही वे वापस जिंदा जा सकेगें। जैश के चार आतंकवादियों की मौत पर सेना ने साफ कह दिया हैं कि पाक संभल जाए वरना बर्बादी के भयानक मंजर अब  उसकी ही अपनी सरजमीन पर देखने को तैयार हो जाएं।

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आतंकवादियों की पनाहगाह बन चुका पाकिस्तान अपने और दूसरे देशों के लिए भी एक सबसे बड़ा खतरा बन चुका हैं। मानवीयता और इंसानियत के बदनुमा दाग बन चुके आतंक के आकांओं और आतंकवादियों का ना कोई धर्म हैं और ना ही कोई जाति। समूची मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़ा कलंक बन  चुके पाकपरस्त आतंकवादियों के समूल खात्में के लिए दुनिया के कई देशों ने अब एकजुट होकर  कई तरह के आर्थिक,व्यापारिक और राजनैतिक समझौतों पर कठोर प्रतिबंध लगाकर  कड़े शब्दों में चेतावनी दे दी हैं कि पाक में छंपे बैठे और पौषित हो रहे आतंकवादियों का यदि पाक ने कदम उठाकर उनका सफाया नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब आतंक से पीड़ित कई देश एकजुट होकर पाक की सीमा  में बेरोकटोक घुसकर आतंक के अड्डों का सफाया कर देगें। दुनिया के कई बड़े राजनैतिक मंचों से उठी आवाजों से मौकापरस्त पाक और उसके पाले हुए दूर्दांत आतंकी सरगनाओं के पैरों तले की जमीन खिसक गई हैं। मौत का खौफ और कभी भी बड़ी स्ट्राइक होने के डर से डरा पाकिस्तान के सामने एक तरफ खाई और दूसरी तरफ मौत बिल्कुल साफ नजर आ रही हैं। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन,रूस और भारत जैसे कई देशों ने कई वर्षों पहले से ही  पाकिस्तान के आतंकवादियों और उनके आकांओं को हिटलिस्ट में लेकर उनके समूल सफायें की कार्रवाई चला रखी हैं। चीन अपने कई बड़े स्वार्थों की खातीर पाक के आतंकवादियों को  संरक्षण देने वाली भाषा बोलता रहा हैं यदि कारण हैं कि चीन को छोड़कर पाक को लताड़ने वाले देशों में आतंकवादी हमलें होते रहे हैं। चीन में कोई बड़ा या छोटा आतंकवादी हमलें की घटना तक दर्ज नहीं हैं। इसके चलते चीन भी कई मामलों में पाक का पक्ष लेने के कारण बड़े भारी आर्थिक और व्यापारिक संकटों के दौर से गुजर रहा हैं। आतंकवादियों की सुरक्षित  पनाहगाह आखिर कबतक पाक की सेना उन्हें संरक्षण देती रहेगी। भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी और तीनों सेनाओं के चीफ ने पूरी तरह ठान लिया हैं कि भारत की सरजमीन पर आतंकवादियों को केवल और केवल मौत मिलेगी,जेल की सलाखें नहीं। पाक आजतक यह नहीं समझ पा रहा हैं कि भाड़े के आतंकवादियों से ना तो युध्द जीता सकता हैं और ना ही भारत को अशांत कर सकता हैं। मोदीजी ने हाल ही में जैसलमेर की सीमा से दीपावली पर साफ कहा कि हैं भारत कठिन परिस्थितियों में राजनैतिक निर्णय लेना भी जानता और नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब भी देना जानता हैं। दुनिया को पता हैं कि पाकिस्तान के लोकतंत्र की  सबसे बड़ी कमजोरी उसकी अपनी सेना हैं। और सेना की आतंकवादियों से सांठगांठ आज पाकवासियों के लिए ही  सबसे बड़ी मुसीबत बन चुकी हैं। नवाज शरीफ,मुसर्रफ जैसे भगोडों के कारण पाक की जनता का लोकतंत्र ही खतरें में पड़ चुका हैं। इमरान खान की कमजोरी उनकी ही पार्टी के नेता और मंत्री बन चुके हैं। इमरान की आंखों पर इन मंत्रियों और नेताओं ने ऐसी काली मोटी पट्टी बांध रखी हैं जिसे ना तो इमरान चाहकर भी हटा नहीं पा रहें हैं और ना ही खुली आंखों से पाकिस्तान का भविष्य ही ठीक से देख पा रहे हैं। ऐसे में ऊपर से सेना की धमकियों के आगे इमरान की चुप्पी से भी कई बड़े सवाल दुनिया के अन्तर्राष्ट्रीय मंचों से उठने लगे हैं। पाक की बर्बादी उसकी सरजमीन पर पनाहगाह बना चुके सैकड़ों सैकड़ों आतंकवादियों के अड्डें हैं जो ना इमरान सरकार देन हैं और ना नवाज शरीफ की देन हैं। ये देन और पौषण मुसरर्फ के समय में सबसे ज्यादा पनप चुके थे। पश्चात ना तो नवाज शरीफ इनका खात्मा कर सकें और ना हा अब इमरान खान की सरकार इन आतंकवादियों के अड्डों को नेस्तनाबूद कर पा रही हैं और ना ही पकड़कर जेलों मे डाल पा रही हैं। यहां तक कि जो जेलों में बंद थे उन्हें बाहरी आकांओं के  दबाव में रिहा भी कर चुकी हैं। आज सैकड़ों खूखांर आतंकवादी पाकिस्तान में खुले आम जनता के बीच घुम रहें हैं। मंचों से बैठकें कर रहे हैं। सरकार और सेना के बीच जाकर अपनी हुकुमत की परिभाषा से परिचित भी करा रहे हैं। पाक के लिए यह एक सामान्य बातें हैं क्योंकि पाक आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह बन चुका हैं। भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ को अंजाम देने के पीछे पाक का काश्मीर जैहाद साफ नजर आ रहा हैं। किन्तु पीएम मोदी कि और से सेना को मिली हरी झंडी हैं ने आतंकवादियों,उनके आकांओं और काश्मीर के देशद्रोही अलगाववादियों की कमर तोड़कर रख दी हैं। आज भारतीय सीमाओं से लगे क्षेत्रों में ना केवल आतंकवादियों में सेना का खौफ हैं वरन सीमाओं के गांवों में आज इन आताताईयों को कोई छिपाने और संरक्षण देने में गांववासियों में गहरा खौफ बना हुआ हैं। जैश के मारे गये चारों आतंकवादियों की साजिश पुलवामा 2  जैसी घटना को अंजाम देने की थी किन्तु उनकी मौत अन्य आकांओं के लिए भी एक सबक है कि जो सीमा से अंदर आएगा वो गीदड़ की मौत मारा जाएगा। सेना के चाकचौबंद चौकसी के कारण ही आज आतंकवादियों का हर तरफ से केवल और केवल सफाया ही किया जा रहा हैं। जेल में रखकर मटन बिर्यानी खिलाने से भारत को भी एक बड़ी नसीहत मिल चुकी हैं। इसलिए आतंकियों को सूटआउट करने का एक ही आदेश हैं।  ऐसे में पाकिस्तान में बैठे आतंक फैलाने वाले तमाम संगठनों के आकांओं को बहुत बड़ा खौफ पैदा हो गया हैं कि भारत में घुसपैठ करना या करवाने का मतलब सीधे गीदड़ की मौत मरना हैं। काश्मीर में जिला परिषद के चुनाव होने वाले है इसे देखते हुए केन्द्र जल्दी ही पच्चीस हजार सैनिकों की तैनाती भी करने जा रही हैं। काश्मीर में हर चप्पे -चप्पे पर सैनिकों की उपस्थिति ना तो पाकिस्तान को रास आ रही हैं और ना ही अलगाववादियों की भाषा बोलने वाले उमर व फारूख अबदुल्ला जैसे नेताओं और मेहबूबा मुफ्ती जैसे देश द्रोहियों को रास आ रही हैं।

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