प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्द, मेरे लिये किसी नोबेल से कम नहीं हैं: डॉ. सतीश पूनियां


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्द, मेरे लिये किसी नोबेल से कम नहीं हैं: डॉ. सतीश पूनियां 


जयपुर, 19 नवंबर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने नमो एप वर्चुअल मीट की  "परिचय" शृंखला में नमो ऐप वालंटियर्स के साथ राजस्थान प्रदेश के भाजपा संगठन एवं अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर वर्चुअल संवाद किया।


डॉ. सतीश पूनियां के नमो एप वर्चुअल मीट के महत्वपूर्ण बिन्दु:- 



- बदलते भारत की तस्वीर है, डिजिटल इंडिया की तस्वीर, जिससे मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से नमो एप पर साक्षात्कार किया।

- पीछे मुड़कर देखता हूं तो साधारण गांव-बस्ती में पल-बढ़कर विश्व के सबसे बड़े राजनैतिक संगठन विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुये भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तक पहुंचा, ये सब भारतीय जनता पार्टी में ही संभव है कि कार्यकर्ता को इतना बड़ा सम्मान मिलता है।

- 1982 में कॉलेज की पढ़ाई को लेकर मैंने जयपुर में कदम रखा, मेरे पास ना कोई अनुभव था, एक अजनबी सा शहर था जिसमें मुझे यात्रा तय करनी  थी, मैं डॉक्टर बनने आया था लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, छात्र राजनीति से शुरुआत कर मुख्य धारा की राजनीति में कब रच बस गया, मुझे पता ही नहीं चला।

- भारत के लोगों के बारे में धारणा है कि लोकतांत्रिक हैं, हमारी यह एक आनु‌वांशिक परंपरा भी है, वेद, पुराण, श्रृषि मुनियों ने भी इस बात को सत्यता से स्वीकार किया है कि भारत की धरती लोकतांत्रिक हैं, सर्व पंथ, सर्व धर्म, विश्व बंधुत्व ये भारत की धरती पर सनातन सत्य हैं, यह हमारी नैसर्गिक ताकत है।

- भारत का व्यक्ति सामाजिक है, स्वयं के बारे में कम, देश-दुनिया, समाज के बारे में ज्यादा सोचता है, मेरी भी यही सोच है, विद्यार्थी परिषद से राजनीति में कदम रखा तो मुझे देश के मुद्दे अच्छे लगते थे, उस समय हम कश्मीर एवं श्रीराम जन्मभूमि के आंदोलन में शरीक हुये, देश के इन मुद्दों ने हमें आकृष्ट किया।

- देश के मुद्दों के साथ समाज के लिये काम करना, ऐसे संगठनों के संस्कार हमें मिले, देशहित एवं जनहित के मुद्दों को लेकर विद्यार्थी परिषद, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से हमें संस्कार मिले, यहां काम करते करते कब राजनीति में आ गये पता ही नहीं चला।

- डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बारे में पढ़ा तो लगता था देश में बड़े बदलाव की जरूरत है, आपातकाल के दौरान भी हमारे जैसे नौजवानों ने लोकतंत्र की बहाली के लिये योगदान दिया होगा, जो देश की आजादी के बाद देश का दूसरा बड़ा आंदोलन था।

- जनसंघ के बारे में जो पढ़ा, वो सभी खूबियां भाजपा में दिखती हैं, स्व. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी कहते थे भारत की धरती पर पैदा होना सबसे बड़ा सौभाग्य है, मेरा भी यह मानना है कि भारत की धरती पर पैदा होना यह बड़ा सौभाग्य है, राष्ट्रवाद के विचार से जुड़ना दूसरा बड़ा सौभाग्य है, इसी राष्ट्रवाद के विचार से प्रेरित होकर भाजपा से जुड़ना मेरा सौभाग्य था।

- आज मैं गौरवान्वित हूं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी के उद्देश्य, विचार , नीतियों, दर्शन को व्यावहारिक धरातल पर उतारकर भारत को स्वाभिमान दिया, ऊंचाईयां दी।

- मेरे ताऊजी स्वाधीनता सेनानी थे, प्रजापरिषद के आंदोलन में बीकानेर जेल में रहे, पिताजी तालुका के प्रधान थे, सामाजिक तौर पर काफी सक्रिय थे, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मुझे मानसिक तौर पर तैयार एवं मजबूत किया, मेरे परिवार के बाद मेरे जीवन में दूसरा बड़ा सहारा विद्यार्थी परिषद ने दिया, एक प्रकाश स्तंभ की तरह रास्ता दिखाया, युवा मोर्चा, अनेक आंदोलन में सक्रिय रहा, रचनात्मक कार्यों का अनुभव आया। राजनीति की पहली पाठशाला विद्यार्थी परिषद है, जहां से मुझे सकारात्मक राजनीति करने की प्रेरणा मिली।

- स्वं. भैंरोंसिह शेखावत, स्व. ललित किशोर चतुर्वेदी, स्व. भंवरलाल शर्मा, सुंदरसिंह भंडारी, संघ के कई वरिष्ठ प्रचारक जिनके सादगी सहजता वाले व्यक्तित्व से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता था, अच्छा मार्गदर्शन मिला।

- राजस्थान के लोग प्रतिक्रियावादी एवं स्वाभिमानी हैं, लेकिन आजादी के बाद शुरुआत के दौर में भी राजस्थान में कांग्रेस शासन के दौरान भी किसानों के खूब आंदोलन हुये, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं आनुशांगिक संगठनों ने भी शुरूआत से बहुत अच्छे कार्य किये।

- भारतीय जनसंघ की उपस्थित 1952 में दर्ज हो गई थी, प्रदेश में इस दौरान कई विधायक हमारे जीते, 1957, 1967 हमें और मजबूती मिली। बड़ा राजनीतिक बदलाव आपातकाल के दौरान आया, प्रदेश के लोगों में भी कांग्रेस का भय खत्म हुआ, लोगों की समझ हमारे संगठन को लेकर बनती चली गई, और पहली बार उस समय हमारे जनसंघ के वरिष्ठ नेता भैरोंसिंह शेखावत मुख्यमंत्री बने, आजादी के बाद पहली बार विपक्षी दल को प्रदेश में लोगों ने अपनाया, मान्यता मिली। बीच के कालखण्ड में सत्ता, धनबल के बूते कांग्रेस काबिज रही।


- 1990 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अन्तोदय की प्रेरणा से भैरोंसिंह ने काम के बदले अनाज योजना शुरू की थी, गरीब लोगों को काम के बदले अनाज मिलने लगा, भैरोंसिंह ने पंचायत के चुनाव भी सिंबल पर लड़ना तय किया, हम पंचायतों, जिला परिषदों तक मजबूत होने लगे। 

-1993-1998 तक प्रदेश को बीमारू हालात से बाहर निकालकर विकास के रास्ते पर ले जाने की कोशिश की, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे कार्य हमारी सरकारों ने इस दौरान किया, कांग्रेस सिर्फ आश्वासन की राजनीति करती है।

- आजादी के बाद दूसरा बड़ा आंदोलन श्रीरामजन्म आंदोलन था, जिसमें  राजनैतिक एवं सामाजिक जनजागरण भी हुआ, लोगों ने गांव-गांव में शिला पूजन के कार्यक्रम हुये। 1990 के आस-पास दशक में भाजपा का तेजी से विस्तार होने लगा, अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व बढ़ता चला गया।

-प्रदेश में मंडल से लेकर विधानसभा स्तर तक हमारी  पार्टी में  समन्वय समितियां हैं, फैसलों पर प्रदेश अध्यक्ष के नाते मुहर मेरी लगती है, लेकिन राय सबकी ली जाती है, सर्वसम्मति से फैसले लेते हैं, सामूहिक रूप से चर्चा करते हैं, उसके सुखद परिणाम सामने आते हैं, यह खूबसूरती मैंने भाजपा में देखी।

- कोरोनाकल में पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रदेश में करोड़ों लोगों को भोजन, राशन, पानी की मदद की, हेल्पलाइन शुरू की, इसी तर्ज पर मैंने भी मेरे घर के ऑफिस में कार्यकर्ताओं एवं आमजन के लिये हेल्पलाइन की सुविधा शुरु करवाई है, जो 24 घंटे कार्य करती है, निवास पर सुबह 8 से 11 नियमित जनसुनवाई की व्यवस्था है।

- व्यक्तिगत एवं संगठन के तौर पर सोशल मीडिया बहुत जरूरी आवश्यकता है, इस बात को मैं स्वीकार करता हूं, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा की वर्चुअल रैली से 80 लाख से अधिक लोग जुड़े थे, यह सोशल मीडिया की बड़ी ताकत है।

- प्रदेश में पार्टी के स्तर पर भी इस दिशा में हम कार्य कर रहे हैं, प्रदेश के 52 हजार से अधिक बूथ में से 40 हजार बूथ कर वाट्स अप ग्रुप हैं, मेरी प्राथमिकता रहेगी सोशल मीडिया, आईटी टीम पर सुसज्जित करेंगे, बौद्धिक तौर पर भी मजबूत करेंगे, इसमें हमने विपक्षी दलों को बहुत पीछे छोड़ दिया है।

- प्रधानमंत्री से पहली मुलाकात एवं 2019 में हुई मुलाकात को लेकर डॉ. सतीश पूनियां ने कहा कि, मैं 1999 में भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष था, हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस समय भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं युवा मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी थे, उनसे पहली बार मेरा साक्षात्कार हुआ, मेरी पहली मुलाकात हुई थी।


- इसके बाद नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 19 नवंबर, 2019 को संसद में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनसे मिलने गया, विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री से मुझे मिलने का सौभाग्य मिला, वे साधारण घर से हैं, मैं भी साधारण घर से हूं, मैं भावुक भी था, पार्टी ने कितना मान-सम्मान मुझे दिया, हमारे संस्कार हैं कि हम बड़े बुर्जुर्गों के पैर छूते हैं, तो मैं जब प्रधानमंत्री मोदी के पैर छूने के लिये झुका तो उन्होंने मेरे हाथ पकड़ लिये, और उन्होंने मुझसे कहा कि, हम जमीन के लोग हैं, हमें झुकना नहीं है, हमें स्वाभिमान के साथ उठना है, इन शब्दों ने स्फूर्ति का संचार किया, ऊर्जा, मनोबल मिली, ये शब्द मेरे लिये किसी नोबेल से कम नहीं हैं, हमारे जैसे करोड़ों कार्यकर्ताओं के लिये प्रेरणा हैं, उन्होंने हमें सिखाया है कि राजनीति के साथ-साथ समाजनीति, नारों की नहीं  सरोकार, जनभागीदारी की राजनीति करनी है।

- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला, बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ अभियान, पीएम सम्मान किसान निधि, कृषि कानून इत्यादि विभिन्न जनकल्याणकारी फैसलों एवं योजनाओं के माध्यम से देश के विकास के लिये क्रांतिकारी कदम उठाये हैं, जिनसे देश का हर वर्ग आत्मनिर्भर बन रहा है।

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