सफ़र में साथ तेरा साथी जन्मों तक....
ग़ज़ल
सफ़र में साथ तेरा साथी जन्मों तक निभाऊंगी।
मैं दुल्हन तेरी बनके साथी तेरा घर सजाऊंगी।
कभी गुस्सा कभी तकरार होगा प्यार में मेरे,
थके हारे जो आओगे तुम्हें सीने लगाऊंगी।
भँवर में कश्तियाँ उब - डुब करेगी साथ होंगे हम,
कभी घबरा जो जाओगे तुम्हें फिर मैं सँभालूंगी।
तेरी होकर ही रहना चाहती हर जन्मों तक अब मैं,
यकीं कर तेरे घर में रोज इक दीपक जलाऊंगी।
सजाऊंगी मैं अपनी मांग तेरे नाम से हमदम,
बड़े अरमान से बिस्तर पे सर तेरा दबाऊंगी।
ख़ुदा का वास्ता तुमको , कभी तुम छोड़ मत देना,
तड़पकर जान दे दूंगी , तुम्हें मैं ना भुलाऊंगी।
कहाँ जाओगे बोलो भागकर के तुम जहाँ जाओ,
मेरी आवाज़ तुमको खींच लेगी जब बुलाऊंगी।
ज्योतिर्गमय अंजुमन , ग़ज़ल संग्रह - 02
______________________________ _______
अंजु दास गीतांजलि....✍️ पूर्णियाँ ( बिहार )
Comments