दिलों में मुहब्बत जगाते चलो।
. ग़ज़ल
दिलों में मुहब्बत जगाते चलो।
ग़मों में भी तुम मुस्कुराते चलो।
यही ज़िन्दगी है बताते चलो।
हँसो और सबको हँसाते चलो।
नहीं कुछ ख़बर कौन हो कल कहाँ-
जो रूठे उन्हें फिर मनाते चलो।
मिले पथ में भूला कोई गर तुम्हें-
उसे साथ अपने चलाते चलो।
कहो चार दिन की है ये ज़िन्दगी-
हँसी औ ख़ुशी से बिताते चलो।
जहां कल को तेरी कदम चूम ले-
मुकद्दर फ़क़त आज़माते चलो।
न रुकना न झुकना कभी शैल तुम-
निरंतर कदम को बढ़ाते चलो।
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शैलेश प्रजापति "शैल"............✍
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