भाजपा के चुनाव चिह्न पर सवाल ? हाई कोर्ट पहुंचा मामला

 भाजपा के चुनाव चिह्न पर सवाल ? हाई कोर्ट पहुंचा मामला


लखनऊ । भारतीय जनता पार्टी की पहचान अब उसका चुनाव चिह्न कमल है. पिछले 4 दशकों यानि 40 सालों से पार्टी इसी चुनाव चिह्न के साथ चुनाव में हिस्सा ले रही है. लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीजेपी द्वारा राष्ट्रीय फूल कमल को चुनाव चिह्न के इस्तेमाल करने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग से इस बात पर जवाब तलब किया है कि किसी राजनैतिक दल को राष्ट्रीय पुष्प कमल चुनाव निशान के तौर पर कैसे दिया गया?


यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने चौरीचौरा, गोरखपुर के सपा नेता काली शंकर की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका की सुनवाई 12 जनवरी को होगी. कोर्ट में यह मुद्दा भी उठा है कि राजनीति दलों द्वारा चुनाव चिन्ह का लोगो के रूप में प्रचार के लिए छूट देना निर्दलीय प्रत्याशी के साथ भेदभाव है.


याची का कहना है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 एवं चुनाव चिन्ह आदेश 1968 के अंतर्गत चुनाव आयोग को चुनाव लड़ने के लिए राष्ट्रीय राजनीतिक दल को चुनाव चिन्ह आवंटित करने का अधिकार है. चुनाव आयोग को मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करने पर दल की मान्यता वापस लेने का भी अधिकार है. बीजेपी का चुनाव चिन्ह कमल राष्ट्रीय चिन्ह भी है. इसलिए उसे जब्त करने और दुरुपयोग करने पर रोक लगाई जाए. 


कोर्ट ने चुनाव चिह्न को चुनाव के दौरान इस्तेमाल किए जाने और उसे लोगो बनाए जाने के बिंदुओं को भी उठाया और कहा कि कई देशों में चुनाव चिन्ह नहीं है, किन्तु भारत मे चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ा जा रहा है. निर्वाचन आयोग के वकील ने इन बिंदुओं पर विचार के लिए वक्त मांगा है, जो वक्त कोर्ट की ओर से 12 जनवरी तक दिया गया है ।

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