विविधता में एकता ही भारत की विशेषता - के.एल. बेरवाल
गणतंत्र दिवस पर विचार गोष्ठी आयोजित
विविधता में एकता ही भारत की विशेषता-के.एल. बेरवाल
जयपुर ।” विविधता में एकता ही भारत की विशेषता है। हमारा देश अलग अलग भाषा, धर्म, वेशभूषा , जाति , क्षेत्र, आदि मे समाहित होने के साथ - साथ एक सूत्र में बंधा हुआ है। एक संविधान के आधार पर पूरा देश एक है। “ उक्त विचार समर्पण संस्था द्वारा आयोजित “विविधता में एकता” विषयक विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि सेवानिवृत आई.पी.एस. व पूर्व राज.लोक सेवा आयोग के सदस्य के.एल. बेरवाल ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि “हमारी संस्कृति एक दूसरे की मदद के भाव को मजबूत करती है। हम सभी सेवा के भाव को मजबूती देने का प्रयास करें।” इससे पूर्व संस्था कार्यालय के सामने मुख्य अतिथि के.एल. बेरवाल ने अन्य अतिथि व पदाधिकारियों के साथ ध्वजारोहण किया। तत्पश्चात विचार गोष्ठी की शुरुआत दीप प्रज्जवलन के साथ समर्पण प्रार्थना से की गई जिसे संस्था के कोषाध्यक्ष रामवतार नागरवाल ने प्रस्तुत किया।संस्था के संस्थापक अध्यक्ष आर्किटेक्ट डॉ. दौलत राम माल्या ने अपने स्वागत भाषण में संस्था के सिद्धांत व कार्यक्रमों की विस्तृत व्याख्या करते हुए अपने विचार व्यक्त किये।
डॉ. माल्या ने अपने उद्बोधन में कहा कि “ समर्पण संस्था विविधता मे एकता का अनुपम उदाहरण है यहां सभी जाति, धर्म, भाषा, वेशभूषा , लिंग , क्षेत्र के व्यक्ति एक गुलदस्ते की भांति है। संस्था में केवल मानवता व इंसानियत के भाव की बात एकता का पर्याय है।
इस अवसर पर रमेश कुमार बैरवा ने विविधता मे एकता विषय को लेकर एक देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया।
विशिष्ट अतिथि जिला व सेशन न्यायाधीश इंदु पारीक ने कहा कि “ विविधता मे एकता का विचार हमारे संविधान की प्रस्तावना से आया है। प्रस्तावना हमारे संविधान की मूल आत्मा है। हमारा तिरंगा व संविधान एक है। भाषा व जातियां व बोलियां थोड़ी सी दूरी पर बदल जाती है। इतनी विविधता होने के बावजूद भी हम संविधान के तहत सब एक सूत्र में बंधे है।
विशिष्ट अतिथि मुख्य अभियंता महेंद्र कुमार बैरवा ने कहा कि “ संविधान के तहत सरकार चलती है।तब ही देश आगे बढ़ता है। आज आज हमारे देश में प्रगतिशीलता केवल संविधान के अनुसरण से ही आई है।
संस्था के मुख्य संरक्षक कर्नल एस. एस. शेखावत ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि “ विभिन्नतायें बाहर की है अपने अंदर की नहीं। देश में अलग अलग क्षेत्रों में भाषा, खान - पान, वेशभूषा, अलग अलग है। संसार में जहां भी अच्छी चीज पैदा हुई उसे हमनें स्वीकार किया है।
एकता कायम रखने के लिए एक दूसरे को स्वीकार करना सीखना होगा। दूसरों की विविधता के साथ हमें सामंजस्य बैठाना बहुत जरूरी है।
मुख्य वक्ता संस्था के मुख्य सलाहकार व पूर्व ज़िला न्यायाधीश उदय चंद बारूपाल ने कहा कि “ हमारा संविधान विश्व का सबसे अच्छा व सबसे बड़ा संविधान है। संविधान के हर अनुच्छेद मे विविधता में एकता देखने को मिलती है। हम गणतंत्र के संविधान की रक्षा के लिए अपना उतरदायित्व निभाने का प्रयास करें।
मुख्य वक्ता संस्था के प्रधान मुख्य संरक्षक जनाब अब्दुल सलाम जौहर ने कहा कि “ सरकार संविधान के तहत कार्य करें तो विविधता में एकता को मजबूती मिलेगी। उन्होंने अफसोस जाहिर किया कि “ सरकारें संविधान के तहत कार्य नहीं करती है जिसके कारण देश की एकता व अखंडता को बहुत नुकसान पहुँचता है।
विशिष्ट अतिथि स्थानीय पार्षद ममता शर्मा की तरफ़ से गिर्राज शर्मा व सिरामिक व्यवसायी बलराम चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किये ।
अंत में सभी का धन्यवाद करते हुए संस्था के वरिष्ठ उपाध्यक्ष स्वामी बाबा भारत ने कहा कि “ जब हम स्वासों की शक्ति को पहचान लेते है तो फिर हमें सभी एकरूप नजर आते है। छोटे बड़े का भेद खत्म हो जाता है ।एकता केवल आत्मिक ज्ञान से ही संभव है।
गोष्ठी में संस्था सदस्यों के अलावा अनेक गणमान्य व समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने प्रमुखता से भाग लिया।
मंच संचालन आर. जे. व वॉयस आवर आर्टिस्ट नवदीप सिंह ने किया ।
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