देश को मिली दो वैक्सीन व राजनीति को मिली नई ऊंचाई

देश को मिली दो वैक्सीन व राजनीति को मिली नई ऊंचाई



                प्रोफे. डां. तेजसिंह किराड़ 

          (वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक)

भ्रम,विरोध,कोशिश और राजनीति के दावंपेंच में फंसी स्वदेशी कोवैक्सीन और कोविशील्ड को आखिरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंजूरी देकर एशियाई महाद्वीप में भारत की राजनीति को भी एक नये मुकाम की ऊंचाई पर पहुंचा दिया हैं। चीन,रूस अमेरिका, फ्रांस,जर्मनी,ब्रिटेन,जापान जैसे कई विकसित देशों को मात देकर भारत ने स्वदेशी स्तर पर वह कारनामा कर दिखाया जिसे हर कोई देश करने के लिए विगत कई महिनों से एक स्पर्धा में संघर्षरत थे। मोदीजी के राजनैतिक नेतृत्व में भारतीय चिकित्सक और वैक्सीन के निर्माणकर्ता वैज्ञानिकों को पूरे विश्व से ठेरों बधाई मिल रही हैं। किन्तु देश में तमाम राजनीति विपक्षियों को मोदीजी के आत्मनिर्भर साहसिक निर्णय की यह बधाई उन्हें रास नहीं आ रही हैं और तरह- तरह के घिघोनें आरोप लगाकर राजनीति में बने रहने का बहाना ढूंढ रहे हैं। कोरोना वैक्सीन पर राजनीति की दोषपूर्ण सोच आखिर भारत में कब जड़ से खत्म होगी?

दुनिया में भारत ही एक अकेला ऐसा देश हैं जहां जब भी कोई नया,बड़ा या साहसिक कार्य सफलता के चरम चूमता हैं तो दुनिया में चारों से बधाई मिलती हैं किन्तु भारतीय मूल कि राजनीति में सबसे ज्यादा विरोधियों के ही स्वर उभरने लगते हैं। कितनी हास्यापद और घटिया राजनीति हैं हमारे देश में कि देश की सेना,जवान, किसान,डाक्टर,वैज्ञानिक,शिक्षक, उद्यमी,मजदूर, गरीब और भिखारी तक पर राष्ट्रीयस्तर के राजनेताओं की विरोधाभाषी राजनीति के बोल सड़कों पर बहने लगते हैं। पूरी दुनिया कोरोना के गर्त से अभी ठीक से उभर भी नहीं पा रही हैं कि ब्रिटेन में सत्तर गुणा खतरनाक वाला कोरोना स्ट्रेन ने एक बार फिर दुनिया में हड़कम्प मचा दिया हैं। इंसानियत की अनगिनत मौत और आर्थिक बदहाली के बीच दम तोड़ती लाखों- लाखों लोगों की जिंदगी को लीलने वाली कोरोना महामारी के नाश के लिए एक मुकम्मल वैक्सीन की सबको बेसब्री से तलाश थी। आत्मनिर्भर भारत में बनी स्वदेशी कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ ने हरी झंडी दे दी हैं। वहीं आक्सफोर्ड की कम्पनी के सहयोग से भारत में ही बनी कोविशील्ड वैक्सीन दोनों को भी एक सौ दस प्रतिशत कारगर की मान्यता मिलने से पूरी दुनिया हैरत में पड़ चुकी हैं कि विशाल जनसंख्या वाला भारत व सबसे ज्यादा ग्रामीण लोगों के रहते कोरोना को ऐसी मात देने में आखिर भारत को इतनी बड़ी सफलता कैसे मिली ? सीमाओं पर चीन और पाक की नापाक हरकतें, चालीस दिनों से सड़कों पर अन्नदाता किसानों का आंदोलन,रात दिन सिर्द बना विपक्ष का प्रहार,विश्व मंच पर बदलती राजनीति और कोरोना के कहर के बीच भारत ने स्वदेशी स्तर पर ही वह कर दिखाया जिसका लोहा और डंका आज पूरी दुनिया मान रही हैं। डब्ल्यूएचओ से दो -दो वैक्सीन को मिली मंजूरी ने भारतीय वैज्ञानिकों और चिकित्सकों की टीम को बहुत बड़ा नोबल सम्मान प्रदान कर दिया हैं। सीरम इंस्टीट्‌यूट आफ इंडिया और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कड़ी मेहनत कर दो दो वैक्सीन का निर्माण कर एक इतिहास रच दिया हैं। मोदीजी के नेतृत्व में निस्संदेह देश,कई ऊंचाईयों के गौरवमयी सम्मान में हर एक विकट परिस्थितियों में भी आसमान छूं रहा हैं। नये वर्ष की सौगात में कोरोना वैक्सीन का आना और जल्दी से हर एक जरूरतमंद तक पहुंचानें के नियोजित उपक्रमों की चाकचोबंद व्यवस्था से सभी भारतीयों का सीना छप्पन का हो चुका हैं किन्तु विपक्ष हैं कि मोदीजी को बधाई देने के बजाय बाल की खाल निकालने में जुटा हुआ हैं। तमाम विपक्ष पार्टियों यह जरूर स्मरण करना चाहिए कि 21मार्च, 2020 से देश और दुनिया ने कितना कुछ आर्थिक,सामाजिक, शैक्षणिक, राजनैतिक,धार्मिक,सांस्कृतिक, और प्राकृतिक स्तर पर खोया हैं और कितनी जानें कोरोना वायरस से कालकवलित हो चुकी हैं। वैक्सीन निर्माण के लिए जी जान से जुटी कई देशों की वैज्ञानिक व चिकित्सकों की टीमों ने कितना कुछ खोया हैं इसका मूल्यांकन ना तो आज संभव हैं और ना ही भविष्य में संभव हैं। राहत की इस खबर ने विकसित,विकासशील और विकासोन्मुख देशों के करोड़ों करोड़ों लोगों के चेहरों पर एक नई उम्मीद भरी चमक साफ देखी जा रही हैं। भारत के लिए यह सफलता अंतरिक्ष में किसी नई उपलब्धि से कम नहीं हैं। एक साथ दो-दो वैक्सीन को मंजूरी और विश्वमंच पर तिरंगे का गौरवमयी सम्मान हर एक भारतीय के लिए ऐवरेस्ट फतह करने के समान महसूस हो रहा हैं। आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी उद्यमों को बढ़ावा देने के पीछे कि मोदीजी की वैज्ञानिक और दूरगामी सोच ने विश्व की कई महाशक्तियों को एक बड़ा और करारा झटका दे दिया हैं। वसुदेवकुटुम्बकम की भावना को साथ लेकर चलने वाला भारत जियो और जीने दो तथा समभाव के गीताभाषी सिध्दांत का लोहा भी अब विश्व राजनीति मंच पर मनवा चुका हैं। अठ्ठारह घंटें रातदिन मेहनत करने वाला मोदीजी जैसा किसी देश में कोई विरला,वियोगी और विश्वकल्याण की भावना को लेकर चलने वाला व्यक्ति होगा जो केवल राजनीति को ही महत्व नहीं देता हैं वरन हर एक इंसान में इंसानियत को भी जगाने की रात दिन मेहनत कर रहा हैं। भारत की इस वैक्सीन सफलता ने विश्वमंच पर एक आत्मनिर्भर भारत की छवि को बहुत बड़ा सम्मान प्रदान किया हैं। कई मामलों में परम्परागत औषधियों और उपचारों को महत्व देते रहे हैं। किन्तु आज भारत ने दुनिया के विकसित देशों के सामने बहुत बड़ी और ऊंची छलांग लगाकर महाशक्तियों के गठजोड़ को भी हिलाकर रख दिया हैं।आज भारत ,विश्व की एक नई उभरती हुई महाशक्ति बनने कि दिशा में कई मायनों में बहुत आगे बढ़ चुका हैं। चीन की गीदड़ भबकियों और पाक की दोगली नीतियों तथा एहसान फरामोश नेपाल की नई चालों से भारत ने विकट परिस्थितियों में भी सबसे निपटने के ऐसे उपाय नियोजित कर रखें हैं कि कोई भी पड़ोसी देश भारत पर सीधे आक्रमण करना तो दूर उनकी हर चाल को भारत पहले ही नाकाम कर देने में महारत हासील कर चुका हैं और यह सब हुआ हैं एक कुशल राजनेता के नेतृत्ववादी दूरदृष्टिकोण,दृढ़संकल्प और भारत को आत्मनिर्भर बनाने की जीवट इच्छा शक्ति से ही संभव हो सका हैं। पूरी दुनिया एक मंदी और आर्थिक संकटों के दौर से गुजर रही हैं किन्तु भारत में उद्यमों को हर तरह से बढ़ानें,विस्तारित करने और सबको सब तरह से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कई तरह की नवीन प्रगतिवादी परिभाषाओं को जन्म दिया जा रहा हैं। इक्कीसवीं सदीं का नवीन भारत अब एक नई महाशक्ति बनने की दिशा में सबका साथ,सबका विश्वास और सबका विकास करने के लिए आगे बढ़ चुका हैं। अपने पहले प्रयास में ही कोरोना महामारी के समूल नाश के लिए कोवैक्सीन का जन्मदाता बनकर भविष्य के गर्भ की कई महामारियों के विनाश करने की क्षमता वाला एक अग्रदूत राष्ट्र बन चुका हैं। सब स्वस्थ्य रहे और सबका कल्याण हो इसी सनातनी भारतीय संस्कृति के जयघोष के कारण विश्व की कई महाशक्तियों का अहंकार टूटकर बिखर चुका हैं। निस्संदेह भारत एक उभरती और सदियों तक स्थापित रहने वाली कल्याणकारी महाशक्ति का एकमेव अग्रदूत राष्ट्र बनकर सम्पूर्ण विश्व को आलौकित करता रहेगा। यह आत्मनिर्भर भारत ने वैक्सीन बनाकर दुनिया को चेता दिया हैं।

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