पत्रकार से मुख्य न्यायाधीश तक का सफर

 सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस रमन्ना 



पत्रकार से मुख्य न्यायाधीश तक का  सफर

जयपुर,24 अप्रैल। जस्टिस नाथुलापति वेंकट रमन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायधीश के रूप में शनिवार को शपथ ले ली है। वो देश के 48वें मुख्य न्यायधीश बन गए हैं।

जस्टिस रमन्ना 65 साल की उम्र होने तक, 26 अगस्त 2022 तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के रूप में काम करेंगे।
दो साल रहे पत्रकार    
जस्टिस रमन्ना का जन्म 27 अगस्त 1957 का अविभाजित आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम के एक किसान परिवार में हुआ था।
1979 से 1980 तक दो साल तक उन्होंने एनाडु अख़बार के लिए राजनीति और क़ानूनों मामलों के पत्रकार के तौर पर काम किया।
10 फ़रवरी 1983 में उन्होंने वकालत का काम शुरू किया, जिसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट, आंध्र प्रदेश प्रशासनिक ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की।
*उन्होंने संवैधानिक मामलों के अलावा सिविल मामले, लेबर सर्विस मामले और चुनाव से जुड़े मामलों पर काम किया। साथ ही इंटरस्टेट रिवर ट्राइब्यूनल से जुड़े मामलों पर भी उन्होंने काम किया।*
आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) के रूप में काम करने से पहले प्रैक्टिस के दौरान जस्टिस रमन्ना हैदराबाद में केंद्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण में रेलवे के लिए एडिशनल स्टैंडिंग काउंसिल के रूप में पैनल वकील रहे।
17 फ़रवरी 2014 से वो सुप्रीम कोर्ट के उप-न्यायाधीश के रूप में नियुक्त रहे। वो 2019 से उन्होंने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी काम किया।
शुरुआत में साल 2000 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी जज के रूप में नियुक्त किया गया था।
बाद में साल 10 मार्च 2013 से लेकर 20 मई 2013 तक वो इसी कोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बने।
साल 2019 में केंद्र सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का फ़ैसला किया तब वहां इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गईं।
इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं।
बीते साल इनमें से एक याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस रमन्ना ने केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर में फिर से इंटरनेट बहाल करने के लिए रिव्यू कमिटी बनाने का निर्देश दिया था।
एक बार पुस्तक विमोचन के एक आयोजन के दौरान जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा था, "जजों पर झूठे आरोप लगा कर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
चूंकि आरोपों पर सफ़ाई देने का कोई रास्ता नहीं है इसलिए उन्हें आसान निशाना बनाया जा रहा है। ये ग़लत धारणा है कि रिटायर्ड जज शानो शौकत वाली ज़िंदगी जीते हैं।
मुख्यमंत्री ने की थी उनके ख़िलाफ़ शिकायत.
साल 2020 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने जस्टिस एनवी रमन्ना पर आंध्र प्रदेश सरकार के प्रशासनिक कामकाज में दखल देने का आरोप लगाया था।
उन्होंने उस वक़्त मुख्य न्यायाधीश रहे एसए बोबडे को चिट्ठी लिख कर कहा कि, "पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू से जस्टिस रमन्ना की नज़दीकी जगज़ाहिर है।
उन्होंने आरोप लगाया कि, "जस्टिस रमन्ना हाई कोर्ट की बैठकों को प्रभावित करते हैं। इसमें कुछ माननीय जजों के रोस्टर भी शामिल हैं।
तेलुगू देशम पार्टी से जुड़े अहम मामलों में सुनवाई का काम 'कुछ माननीय न्यायाधीशों' को ही आवंटित किया गया है।
पूर्व जस्टिस चेलमेश्वर के साथ विवाद?..
मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस चेलमेश्वर ने एक पत्र लिख कर कहा था कि जस्टिस एनवी रमन्ना और एन चंद्रबाबू नायडू के बीच अच्छे रिश्ते हैं।
उन्होंने कहा था, "ये न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच ग़ैर-ज़रूरी नज़दीकी का सबसे बड़ा उदाहरण हैं।
अपने पत्र में उन्होंने लिखा था कि अविभाजित आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के बारे में एनवी रमन्ना की रिपोर्ट और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की टिप्पणी में समानताएं थीं।
जब ये चिट्ठी लिखी गई थी उस वक़्त जस्टिस चेलमेश्वर सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति करने वाले कॉलेजियम के सदस्य थे। इस चिट्ठी का नतीजा ये हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस एनवी रमन्ना की दी गई रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में नए जजों की नियुक्ति की।
एक अंग्रेज़ी अख़बार को दिए एक इंटरव्यू में जस्टिस एनवी रमन्ना ने इस मुद्दे पर बात की थी और कहा था कि, "देश के चीफ़ जस्टिस ने छह वकीलों पर मेरी राय मांगी थी जो मैंने किया। इससे आगे मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों ने क्या राय दी है इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। 


पिरियोडीकल प्रेस ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुरेंद्र शर्मा, उपाध्यक्ष विजय सिंह, महासचिव राकेश प्रजापति,सचिव मधु भाई रामदेव, सतीश दीक्षित, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर एवं राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सन्नी आत्रेय, महासचिव भरत शर्मा ने जस्टिस रमन्ना को शुभकामनाएं देते हुए विश्वास जताया है कि आप के नेतृत्व में देश की न्याय व्यवस्था में सुधार होगा तथा आप द्वारा लिये गये फैसले मील का पत्थर साबित होंगे। 

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