दुआ कीजिए कि ये प्रेमभाव बना रहे

 दुआ कीजिए कि ये प्रेमभाव बना रहे



दुआएं कीजिए कि ये प्रेमभाव बना रहेमुसलमान कोरोना फैलाते हैं, ये घृणा अभियान था। मुसलमान इस देश के सुख-दुख में हिस्सेदार हैं, ये अंतिम सच है।




सूबा महाराष्ट्र। जिला यवतमाल। नाम अब्दुल जब्बार, शेख अहमद, शेख अलीम और आरिफ खान। ये चारों लडक़े इस कोरोना काल में यवतमाल के एक श्मशान घाट में रात-दिन एक करके लोगों को मुखाग्नि देते हैं। ये चारों मुस्लिम लडक़े अब तक 800 से ज्यादा हिंदुओं का दाह-संस्कार कर चुके हैं। यही नहीं, वे हिंदुओं के अंतिम संस्कार में हिंदू रीति-रिवाजों का भी ख्याल रखते हैं।


ऐसे समय में जब तमाम लोग अपने परिजनों तक का अंतिम संस्कार करने से दूर भाग रहे हैं, ये चारों नौजवान पूरी शिद्दत से इस सामाजिक कार्य में जुटे हैं। इनको पता है कि श्मशान भूमि में आने वाली ज्यादातर लाशें कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन वे अपनी जान की परवाह किये बगैर रात-दिन अपना काम कर रहे हैं।

मेरठ में सुषमा अग्रवाल की अचानक तबियत बिगड़ी और मौत हो गई। उनके पति अमित अग्रवाल किसी काम से बनारस गए थे। बेटा और बेटी दिल्ली में रहते हैं।  मौत के वक्त घर में सुषमा की एक भांजी और एक नौकर ही मौजूद थे। मौत की खबर सुनने के बाद भी शहर में रहने वाले रिश्तेदार, करीबी लोग और पड़ोसियों में से कोई नहीं पहुंचा।

मेरठ के रहने वाले तहसीन अंसारी को सुषमा की मौत की खबर मिली। तहसीन अंसारी ने रात को एक बजे फोन पर सुषमा के पति से बात की तो उन्होंने बताया कि वो सुबह तक मेरठ पहुंच जाएंगे। सुबह अमित अग्रवाल और उनका बेटा मेरठ पहुंचे। लेकिन वहां सुषमा की अर्थी को कंधा देने के लिए सगे-संबंधियों, पड़ोसियों में से कोई भी नहीं पहुंचा। 

सुबह साढ़े ग्यारह बजे तक इंतजार होता रहा, लेकिन कोई नहीं आया तो तहसीन अपने कुछ साथियों के साथ वहां पहुंचे। मुस्लिम समाज से ही आसपास के कुछ और लोग आगे आए और यही लोग अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट तक ले गए। उन्होंने हिंदू परंपरा के मुताबिक ‘राम नाम सत्य है’ बोलते हुए सुषमा की अंतिम यात्रा संपन्न कराई। इधर कुछ सालों से नेता ‘नेशन फस्र्ट’ का नारा लगाकर समाज को बांट रहे थे। लोग पार्टियों के लिए या नेताओं के कहने पर आपस में खूब लड़ रहे थे। महामारी ने हम सबको एकजुट रहने का सबक दे दिया। अब हिंदुओं और मुसलमानों का खून एक-दूसरे की रंगों में उतरकर हम सबकी जान बचा रहा है।

दुआएं कीजिए कि ये प्रेमभाव बना रहे।

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