स्निफर डॉग्स करेंगे कोरोना संक्रमितों की पहचान

स्निफर डॉग्स करेंगे कोरोना

 संक्रमितों  की पहचान


कोरोना संक्रमण से पूरी दुनिया जूझ रही है। लोग अपने घरों में बैठने के लिए मजबूर हैं, किंतु जब लॉकडाउन समाप्त होने पर लोग घरों से निकलकर काम पर जाने लगे हैं तो इस स्थिति में लोगों की सुरक्षा के लिए हर जगह कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। अब तक मशीनों के जरिए या फिर डॉक्टरों की जांच के जरिए कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति की पहचान की जाती थी, इसे पहचानने के लिए कई तरीके बनाए गए हैं, लेकिन अब कोरोना संक्रमित लोगों की पहचान करने का एकदम नायाब तरीका निकाला गया है। कहते हैं कि जब कोई विपदा आती है तो घर के पालतू जानवरों को उसका आभास पहले ही हो जाता है, वो उस खतरे को सूंघ लेते हैं, अब कोरोना संक्रमण के मामले में भी इसे सही पाया गया है।

          कोविड-19 के संक्रमण से बचाव का उपाय ढूंढने के लिए दुनिया के कई देशों में अनेकों रिसर्चें और अध्ययन किए जा रहे हैं, फ्रांस के नेशनल वेटरनरी स्कूल में वैज्ञानिकों ने 16 मार्च से 9 अप्रैल के बीच एक अध्ययन किया था, इस स्टडी के लिए 335 लोगों को चुना गया था इनमें से 109 लोग आरटी पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव थे, सभी लोगों के पसीने के सैंपल लिए गए और इन सैंपल्स को जार में रख कर दो अलग-अलग तरह के डॉग्स को सूंघने के लिए दिया गया था, सैंपल के परीक्षण के लिए जिन डॉग्स को शामिल किया गया था उनका उस टेस्ट के लिए चयनित लोगों से पहले कोई संपर्क नहीं रहा था। इस टेस्ट में वैज्ञानिकों ने पाया कि प्रशिक्षित स्निफर डॉग ने कोरोना वायरस से संक्रमित और गैर संक्रमित के बीच अंतर मिनटों में पहचान लिया, जबकि संक्रमण की जांच में एंटीजन टेस्ट में कम से कम 30 मिनट और आरटी पीसीआर टेस्ट में 24 से 36 घंटे लग जाते हैं। प्रत्येक बीमारी की अपनी एक गंध होती है, कई शोधों से ये बात साबित हो चुकी है। डॉग्स के सूंघने की क्षमता इंसानों के मुकाबले 10 हजार गुना अधिक होती है। कोरोना वायरस पहली ऐसी बीमारी नहीं है, जिसे स्निफर डॉग्स सूंघकर पहचान सकते हैं, मलेरिया की बीमारी को भी ये सूंघकर पहचान लेते हैं तथा ये यह भी पता लगाने में सक्षम हैं कि किसी व्यक्ति को बुखार है या नहीं। कई देशों में रिसर्च द्वारा यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या डॉग्स कैंसर जैसी बीमारियों के शुरुआती लक्षण भी पहचान सकते हैं। स्निफर डॉग्स की इस काबिलियत का इस्तेमाल ऐसी जगहों पर किया जा सकता है, जहां संक्रमण का खतरा अधिक रहता है।

       वैसे तो स्निफर डॉग्स की क्षमता का इस्तेमाल बंदूक, गोली, बारूद या नशे का सामान पकड़ने में किया जाता रहा है और यह अपना काम बखूबी करते रहे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक स्निफर डॉग्स कोरोना वायरस की पहचान करने में भी सक्षम हैं। कोरोना संक्रमितों की पहचान करके इनकी यह शक्ति इंसानियत के बड़े काम आ सकती है‌।

        लंदन स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन में इस पर विशेष अनुसंधान किया गया। कोविड-19 के रोगियों के कपड़े, मोजे, मास्क जो कि उनके द्वारा पहने जा चुके थे, उनको सामान्य कपड़ों, मास्क और मोजों से मिलाकर जब रखा गया और 6 प्रशिक्षित डॉग्स को लगाया गया कि उन्हें चिन्हित करें, (पुरस्कृत करने के आधार पर उनको प्रशिक्षित किया गया था) तो यह देखा गया कि लगभग 90% सफलतापूर्वक इन प्रशिक्षित डॉग्स ने वास्तविक मरीजों के मोजे, मास्क और कपड़े चिन्हित कर लिए। फिनलैंड, दुबई और स्विट्जरलैंड जैसे देशों ने भी डॉग्स को कोरोना संक्रमण सूंघने के लिए प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर डॉग्स को प्रशिक्षित कर दिया जाए तो एयरपोर्ट पर ही संक्रमित लोगों को रोकने में काफी मदद मिल सकती है और इससे संक्रमण के प्रसार को रोका जा सकता है।


                    रंजना मिश्रा ©️®️कानपुर, उत्तर प्रदेश

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                     misraranjana80@gmail.com

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