पेमेंट बकाया होने पर डेड बॉडी देने से इनकार नहीं कर सकते अस्पताल
पेमेंट बकाया होने पर डेड बॉडी देने से
इनकार नहीं कर सकते अस्पताल
जयपुर के संतोकबा दुर्लभजी हॉस्पिटल ने हाल ही डेढ़ लाख रुपया बकाया बताकर एक गरीब बाप को उसके बेटे की लाश सुपुर्द नहीं की थी..
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बाद ना सिर्फ मेडिकल से जुड़े नए सवाल सामने आए हैं, बल्कि कानूनी शंकाए भी सामने आई हैं। जैसे यदि अस्पताल बिल बकाया होने पर डेड बॉडी देने से या फिर इंश्योरेंस कंपनी क्लेम देने से मना करें तो हम क्या कर सकते हैं?
बिल नहीं भुगतान करने पर अस्पताल पेशेंट को अपने यहां रोक नहीं सकता है..
यदि अस्पताल डेथ सर्टिफिकेट जारी ना करें तो, डीसी के पास कर सकते कंप्लेन.
सभी जनरल और स्पेशल हेल्थ इंश्योरेंस में कोविड को शामिल करने के है निर्देश..
मध्य प्रदेश के शाजापुर में एक 60 वर्षीय व्यक्ति को पिछले हफ्ते अस्पताल के बिस्तर से बांध दिया गया था।
वजह थी कि रोगी का परिवार उसके इलाज पर हुए मेडिकल बिल 11,200 रुपये नहीं दे सका था।
मीडिया में आई खबरों के बाद स्थानीय प्रशासन ने प्राइवेट अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया। साथ ही अस्पताल मैनेजर पर गलत तरीके से व्यक्ति को बंधक बनाने का मामला दर्ज किया।
यह सिर्फ एक मामला नहीं है।
लेकिन, इसके विपरीत राजस्थान की राजधानी जयपुर के ब्रांड दुर्लभजी हॉस्पिटल में तीन दिन पूर्व ही एक गरीब बुजुर्ग के बेटे की मौत हो गई।
उसके इलाज़ के डेढ़ लाख रुपया बकाया बताकर अस्पताल प्रशासन ने पूरे 24 घण्टे तक बेटे की लाश को बुजुर्ग के सुपुर्द नहीं किया। प्रशासन का कहना था कि बिल के बकाया डेढ़ लाख रुपये दे जाओ, ओर बेटे की लाश ले जाओ।
प्रशासन की इस बदनीयती के कारण गरीब बुजुर्ग बाप दिन-रात अस्पताल की सीढ़ियों पर रोता रहा,लेकिन, किसी ने भी उसकी मदद नहीं की।
इस घटना को मीडिया ने भी पुरजोर तरीके से नही उठाया। वही,राज्य सरकार की ओर से भी इस घटना के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बावजूद अस्पताल प्रशासन पर किसी प्रकार की कोई सख्त कार्यवाही नहीं कि गई।
ऐसी ही घटनाओं से बचाव के लिए ये खबर दी जा रही है।
कोरोना महामारी के दौरान हमें इस तरह की कई खबरें सुनने को मिल रही हैं कि बिल नहीं देने पर अस्पताल डेड बॉडी देने से इनकार कर दे रहे हैं।
लोगों की मदद के लिए Ask Nyaaya हेल्पलाइन..
कोरोना महामारी के बाद ना सिर्फ मेडिकल से जुड़े नए सवाल सामने आए हैं, बल्कि कई कानूनी शंकाए भी सामने आई हैं।
जैसे, यदि अस्पताल बिल बकाया होने पर डेड बॉडी देने से या फिर इंश्योरेंस कंपनी क्लेम देने से मना करें तो हम क्या कर सकते हैं या हमें क्या करना चाहिए?.
ऐसे में बेंगलुरू की कोविड हेल्पलाइन न्याय लोगों की समस्यओं का हल निकालने में मदद कर रही है। साथ ही जरूरत पड़ने पर लोगों को कानूनी सलाह भी दे रही है।
न्याय की शुरुआत विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी की तरफ से की गई है। इसमें 150 से अधिक वकील और लॉ वॉलिंटीयर्स उपलब्ध हैं। लोग Ask Nyaaya हेल्पलाइन पर फोन कर मदद ले सकते हैं।
आइए, जानते हैं इससे जुड़े जरूरी सवाल और उनके जवाब..
सवाल : क्या बिल बकाया होने पर अस्पताल रोगी को रोक सकते हैं या फिर बॉडी को देने से इनकार कर सकते हैं?
जवाब : नहीं, कोई भी अस्पताल बिल बकाया होने पर रोगी को बंधक नहीं बना सकते। साथ ही बिल का भुगतान नहीं करने पर डेड बॉडी देने से इनकार भी नहीं कर सकते हैं।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से मंजूर किए गए पेशेंट राइट चार्टर के अनुसार अस्पताल को बिल का भुगतान नहीं होने पर भी आवश्यक रूप से बॉडी को रिलीज करना होगा।
रोगी को इलाज के दौरान किसी भी समय अस्पताल से जाने का अधिकार है।
इसी तरह मरे हुए व्यक्ति के परिजन या रिश्तेदार को उसका शव हासिल करने का हक है। इसे प्रक्रिया का आधार बना रोका नहीं जा सकता है।
सवाल : बिल भुगतान नहीं होने या किसी अन्य कारण से अस्पताल डेथ सर्टिफिकेट देने से इनकार करता है तो क्या करना चाहिए?
जवाब : यदि अस्पताल बिल भुगतान नहीं होने की सूरत में डेथ सर्टिफिकेट देने से इनकार करता है तो यह आपके अधिकारों का उल्लंघन है।
आप अस्पताल के शिकायत निवारण अधिकारी के पास कंप्लेन कर सकते हैं।
इसके अलावा स्टेट मेडिकल काउंसिल के पास अस्पताल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के संबंध में शिकायत कर सकते हैं।
जिला प्रशासन भी ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कदम उठा सकता है। इसके लिए आप डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या कलेक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
सवाल: क्या कोरोना का इलाज मेरी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर होता हैं?
जवाब : इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDA) ने सभी जनरल और स्पेशलाइज्ड हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों को यह आदेश दिया था कि वे ऐसी व्यक्तिगत स्टैंडर्ड हेल्थ पॉलिसी ऑफर करें जिसमें कोविड का मेडिकल कवरेज शामिल हो। इसके बेस कवर में कोविड होने के दौरान अस्पताल में भर्ती होने का खर्च, होम केयर ट्रीटमेंट खर्च और अन्य इलाज संबंधी खर्च को शामिल किया जाए।
वो भी खासकर उस समय जबकि आपनी अपनी हेल्थ पॉलिसी कोरोना महामारी के शुरू होने बाद ली हो।
सवाल : क्या कोरोना महामारी के दौरान अबॉर्शन कराया जा सकता है?
जवाब : हां, आप कोरोना महामारी के दौरान अबॉर्शन करा सकती हैं। सरकार ने एबॉर्शन को आवश्यक सेवाओं में घोषित किया है।
ऐसे में बिना कोविड की स्थिति में आप रजिस्टर्ड क्लिनिक या अस्पताल में अबॉर्शन करवा सकते हैं।
सवाल : लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा को लेकर कहां और कैसे शिकायत कर सकते हैं ?
जवाब : घरेलू हिंसा की स्थिति में आप निम्नलिखित तरीके से शिकायत कर सकते हैं:
1. नेशनल कमिशन फॉर वूमन की तरफ के वाट्सऐप हेल्पलाइन नंबर 0721-7735372
2. ऑल इंडिया वूमन हेल्पलाइन फॉर वूमेन इन डिस्ट्रेस 1091
3. वूमन हेल्प लाइन फॉर डोमेस्टिक अब्यूज 181
4. पुलिस 100
5. इमरजेंसी हेल्पलाइन 112
6. चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन 1098 (हिंसा का सामना कर रहे बच्चों के लिए हेल्पलाइन)
Comments