रद्द हो चुके 66-A के तहत कैसे दर्ज हो रहे है मामले-सुप्रीम कोर्ट

रद्द हो चुके 66-A के तहत कैसे दर्ज हो रहे है मामले-सुप्रीम कोर्ट 


Sharनई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोशल मीडिया (Social Media) पर कमेंट करने पर मुकदमा दर्ज करने का मामले में सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. कोर्ट ने कहा कि चार हफ्तों में जवाब जवाब देना होगा। 

नई दिल्ली। एक जनहित याचिका में कहा गया है कि ऐसे कई मामले आ रहे है जिसमे लोग अगर सोशल मीडिया (Social Media) पर टिप्पणी करते है तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जेल भेज दिया जा रहा है । हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ही सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था. कोर्ट ने कहा था की लोगों को अपनी बात सोशल मीडिया पर कहने का अधिकार है. ये अपराध नहीं हो सकता है। 

सुप्रीम कोर्ट ने IPC के सेक्शन 66 a को गैर संवैधानिक करार देते हुए साल 2015 में रद्द कर दिया था।केंद्र सरकार ने इस मामले में जवाब देते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को एडवाइजरी भेजी थी. इसके बावजूद अगर मुकदमा दर्ज हो रहा है तो इसके लिए राज्य सरकार और वहां की पुलिस जिम्मेदार है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा की इसमें निचली अदालतों की भी जिम्मेदारी बनती है. अदालत ऐसे मामलों में किसी को जेल कैसे भेज सकती है. कोर्ट ने देश के सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को भी नोटिस जारी कर इस बाबत जवाब मांगा है. अब इस मामले में चार हफ्तों बाद सुनवाई होगी। 

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