पीपीपी मोड प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ धोखा-जितेंद्र सिंह

जॉब के अनुरूप नहीं मिल रही लैब टेक्नीशियन को ग्रेड पे


 संख्या बल के चलते नहीं हो पाती  लैब टेक्नीशियन की मांगे पूरी


पीपीपी मोड प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं के साथ धोखा-जितेंद्र सिंह 



जयपुर। विश्व की लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण जनकल्याणकारी योजना  मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना जो 2013 में राजस्थान में शुरू हुई इस योजना को चिकित्सा विभाग की रीड की हड्डी कहे जाने वाले लैब टेक्नीशियन ने  शत-प्रतिशत सफल बनाया और , वैश्विक आपदा में  जहां कोरोना के सैंपल कलेक्शन का कार्य ICMR की गाइडलाइन के अनुसार ईएनटी चिकित्सक का है इसे भी अपने RT-PCR जांच कार्य के साथ शत प्रतिशत प्रदेश के लैब टेक्नीशियन ने पूरी निष्ठा के साथ पूरा किया। कोरोना में टेस्टिंग के कार्य को देश में अब्बल रखा। कोरोना के अलावा चिकित्सा विभाग में विभिन्न संक्रमण जैसे स्वाइन फ्लू एचआईवी ट्यूबरक्लोसिस के सहित विभिन्न संक्रमण के बीच कार्य को अंजाम देने वाले लैब टेक्नीशियन की मांगों पर विगत तीन से चार दशकों से लगातार अनदेखी हो रही है !वर्तमान में जिन  कैडरों की ग्रेड पे GP 4200 है वो 1987 तक लैब टेक्नीशियन से निम्न ग्रेड पे में हुआ करती थी ,लेकिन आज लैब टेक्नीशियन उनसे काफी नीचे पायदान पर हैं। जिस की प्रमुख वजह सिर्फ एक ही प्रतीत होती है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस ! लैब टेक्नीशियन का  बेहतर जॉब चार्ट  तो  है लेकिन संख्या बल में कम है इसीलिए उनकी जायज मांगों पर हर बार सरकारों में अनदेखी होती रही है! 

संघ के प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह,मीडिया प्रभारी संतोष शर्मा व जिला अध्यक्ष सज्जन सोनी ने बताया कि 2013 में भटनागर कमेटी ने इनकी योग्यता के साथ छेड़छाड़ किया बारहवीं विज्ञान विषय को दसवीं पास  माना।  2006 में छठे वेतन आयोग में भी शैक्षणिक और प्रशेक्षणिक योग्यता का कोई लाभ नहीं मिला! आज जहां पश्चिमी बंगाल, उत्तराखंड, हरियाणा में लैब टेक्नीशियन को ग्रेड पे 4200 मिल रही है वही राजस्थान में केवल ग्रेड पे  2800   दी जा रही है। मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के चलते जहां पड़ोसी राज्यों का भार भी राजस्थान के लैब टेक्नीशियन पर है लेकिन मांगों पर आज तक सुनवाई नहीं हो रही गांधीवादी तरीके से लगातार 72 घंटे कार्य करना परिवार सहित रक्तदान करना जनप्रतिनिधियों के द्वारा ज्ञापन जैसे तरीकों से सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है विभाग में हर बार सकारात्मक सहमति तो बनती है लेकिन मांगे आज तक पूरी नहीं हुई हम गांधीवादी विचारधारा के हमारे  मुख्यमंत्री  से अनुरोध करते हैं कि आप के निर्देशन में जहां कर्मचारियों की विभाग में वार्ता के पत्र के उपरांत 3 जून 2021 को बनी सहमति पर मंजूरी प्रदान की गई लेकिन मांगे आज तक पूरी नहीं हुई जिनमें हमारी ग्रेड पे 4200 पदनाम परिवर्तन और, भत्ते शामिल हैं! उन मांगों को पूरा करावे

2. पी पी पी  मॉडल पूरी तरह शोषणकारी है इसे बंद किया जाए 

सरकारी व्यवस्था सस्ती और सुलभ व्यवस्था है जहाँ आम आदमी की पहुँच होती है आम जन का हस्तक्षेप होता है सरकार का वास्तविक नियंत्रण होता है 

चिकित्सा के क्षेत्र में सरकारी सिस्टम की अहमियत कोरोना महामारी के दौर ने सिद्ध की जब निजी संस्थानों ने आपदा को ही अवसर में बदल डाला, मरीजो के इलाज के नाम पर खुलेआम लूट की गयी, लाखों रुपयों के बिल बना मरीजों को लूटा गया ,महामारी के प्रारंभिक दौर में तो निजी अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती करनें से ही मना कर दिया गया ,सरकार ने जब हस्तक्षेप किया तब कहीं जाकर मरीजों को भर्ती करना पडा फिर भी वहाँ मरीजों पर कम एवं बिल बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया गया 

महामारी का दौर इस कटु सत्य से सबक लेने का था कि निजीकरण स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये पूरी तरह प्रतिकूल है ,आम जन भी इस बात से पूरी तरह सहमत है ,कोरोना वैक्सीन से लेकर कोरोना इलाज तक सरकारी अस्पताल आमजन खास जन सबकी पहली पसंद है ,यह सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति जनता का विश्वास है जिसे नकारा नहीं जा सकता , सरकारी सिस्टम में जाँच व्यवस्था पूरी तरह योग्य एवं उच्च प्रशिक्षण प्राप्त कार्मिकों के हाथों में हैं जबकि पी पी पी मोड पूरी तरह अयोग्य कार्मिकों के हाथों में रहेगा इनकी भर्ती विज्ञप्ति में केवल सी एम एल टी, डी एम एल टी ,बी एम एल टी किया अभ्यर्थी मान्य है ,आर पी एम सी रजिस्ट्रेशन की बाध्यता इसमें नहीं रखी गयी है जो पूर्णतः अयोग्यता को बढावा है, वहीं सरकार  लैबो के एनएबीएल की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है! निजी संस्थान अल्प वेतन देकर ना केवल कार्मिकों का शोषण करेंगे अपितु रिएजेंटस बचा आर्थिक फायदा लेने के लिये जाँच की गुणवत्ता से भी समझौता करेंगे , पी पी पी मोड व्यवस्था में ना केलिब्रेशन की गारंटी होगी ना कंट्रोल की 

    निजीकरण व्यवस्था निजी लाभ पर आधारित व्यवस्था है ,सरकारी व्यवस्था आम जन को राहत पहुँचाने पर आधारित व्यवस्था है ,सरकार को कोई भी निर्णय लेने से पूर्व इस सत्य को स्वीकार करना ही चाहिये , लैब टेक्नीशियन संघ पी पी मोड के सरकारी फरमान की घोर निंदा करता है विरोध करता है ।

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