स्कूल फीस बनी मौत का कारण

स्कूल फीस बनी मौत का कारण

बेटी का शव देख माँ-बाप को लगा सदमा 


अर्थी को कंधा भी न दे सके


उन्नाव। मुफलिसी में जीवन बिताकर बेटी को अफसर बनाने का एक पिता का सपना गुरुवार को उसकी मौत के साथ टूट गया। मन्नतों के बाद जन्मी बेटी का शव देख पिता को इतना गहरा सदमा लगा कि हालत बिगड़ने से वह उसकी अर्थी को कंधा भी न दे सका। बेटी के गम में मां भी बेहोश हो गई। शुक्रवार को दोनों का एक क्लीनिक में इलाज कराया गया। अन्य परिजनों ने परियर घाट में उसका अंतिम संस्कार किया। फीस के लिए प्रधानाचार्य की फटकार से आहत होकर जान देने वाली 15 वर्षीय छात्रा स्मृति अवस्थी की मौत पर हर कोई स्तब्ध है। स्मृति अपने पिता की इकलौती संतान थी। शादी के कई साल बाद तक सुशील को संतान सुख नहीं मिला। पत्नी रेनू के साथ वह धार्मिक स्थलों पर माथा टेकता और मन्नतें करता रहा। बेटी स्मृति का जन्म हुआ तो उसे बेटे के तरह ही अच्छी परवरिश करने के लिए पिता जीतोड़ मेहनत करने लगा।

17 वर्ष पहले सुशील पत्नी के साथ पैतृक गांव माखी के भदियार गांव से शहर आ गया। पहले शुक्लागंज में किराये का कमरा लेकर रहा। फिर शहर के आदर्श नगर में 1600 रुपये में किराये का कमरा लेकर पत्नी व बेटी के साथ रहने लगा। पहले शराब मिल में नौकरी की। मौजूदा समय में हिरन नगर स्थित तंबाकू फैक्टरी में छह हजार रुपये में नौकरी करने लगा। स्मृति को पढ़ा लिखाकर अफसर बनाने का सपना लेकर सुशील बेटी को अच्छी शिक्षा भी दिलाने लगा। पढ़ाई में तेज होने और 10वीं कक्षा में स्मृति के पहुंचने पर पिता सुशील के सपनों को पंख लगने शुरू हो गये। अचानक गुरुवार को स्कूल में फटकार से दुखी स्मृति द्वारा खुदकुशी करने से उसके सपने टूट गए। बेटी की मौत से उसे व रेनू को गहरा सदमा लगा। अंतिम संस्कार के लिए जैसे ही गांव वाले घर से शव ले जाने लगे सुशील व रेनू बेहोश हो गए। हालत बिगड़ने से पिता बेटी की अर्थी को कंधा भी न दे सका। माता-पिता को परिजनों ने रसूलाबाद स्थित एक क्लीनिक में भर्ती कराया। परिजनों ने पुलिस की मौजूदगी में परियर घाट में शव का अंतिम संस्कार किया।

पिता की बेबसी सहन न कर सकी 
स्कूल में फीस के लिए डांट और पिता की बेबसी ने स्मृति को इतना आहत कर दिया कि उसने जान तक दे दी। चाचा रमेश ने बताया कि स्मृति काफी सीधे स्वभाव की थी। घर-परिवार में भी कोई कुछ कह देता था तो वह दुखी हो जाती थी। परिजनों का मानना है कि फीस के लिए पड़ रहे दबाव और पिता की बेबसी से आहत होकर स्मृति ने यह कदम उठा लिया।

होश आने पर तड़प उठते दंपती 
बेटी की मौत से सुशील व रेनू को इतना गहरा सदमा लगा है कि दोनों रो-रोेकर बेहोश हो रहे हैं। होश आने पर पिता बार-बार यही कहता है कि स्मृति का चेहरा आंखों के सामने घूम रहा है। कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी बेटी को इतनी जल्दी खो देगा। स्कूल के प्रधानाचार्य द्वारा किए गए दुर्व्यवहार ने बेटी की जान ले ली।

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