आर्थराइटिस का दर्द युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है

 आर्थराइटिस का दर्द 

 युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है

डा.संजय अग्रवाल
हेड, आर्थोपेडिक्स
पी.डी.हिंदुजा नेशनल अस्पताल
मुबंई


युवाओं में यह एक आम सोच है कि आर्थराइटिस बुजुर्गों की बीमारी है इसलिए इसी उनमें से अधिकांश अपनी हड्डियों को लेकर सतर्क नहीं रहते हैं। उन्हें लगता है कि वे अभी यंग हैं, लेकिन अब लोगों को अपनी सोच बदलने का समय आ गया है और उन्हें ये मान लेना चाहिए कि आज के समय में युवाओं को भी किसी भी तरह की बीमारी हो सकती है इसलिए उससे दूर भागने की जगह समय रहते उसका उपचार करवाएं। साथ ही इस बात का ख्याल रखें कि अपने शारीर के अंगों की पहली देखभाल अपने हांथों में ही होती है इसलिए समय समय पर जांच और शरीर की देखभाग उन्हें इन समस्याओं से बचा सकती है। मूल रूप से ओस्टियोआर्थराइटिस आर्थराइटिस का ही एक रूप है जो कि उम्र के बढने पर अधिक पाई जाती है लेकिन रूमेटॉयड आर्थराइटिस किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है।
सच तो यह है कि आर्थराइटिस से पीडि़त युवाओं की संख्या में अचानक ही काफी तेजी आ गई है। यह परेशानी खासकर ऑफिस जाने वाले लोगों में ज्यादा देखी जाती है। वे अक्सर जोड़ों के दर्द, सूजन या कड़ेपन की शिकायत करते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे बड़ा कारण है जीवनशैली। आज की युवा न तो व्यायाम में दिलचस्पी लेती है और न ही खाने का कोई स्वस्थ तरीका रह गया है। 
क्या होती है रूमेटॉयड आर्थराइटिस की समस्या 
रूमेटॉयड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें आपका इम्यून सिस्टम अत्यधिक सक्रिय हो जाता है और आपके शरीर के अंदरूनी जोड़ों को नुकसान पहुंचाने लगता है। यह आपको किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल है जोड़ों में सूजन, सुबह उठने पर उनमें कड़ापन, दर्द जो खत्म नहीं होता-या कई हफ्तों तक बना रहता है आदि। हालांकि, इस बीमारी से लडने के कई तरीके हैं। 
हड्डियों को बनाएं मजबूत 
हड्डियों की सेहत के लिए सुबह की धूप लेना महत्वपूर्ण है। ज्यादातर युवा जिनका अधिकांश समय कार या ऑफिस के अंदर बीतता है, उन्हें सुबह के समय थोड़ी देर धूप में जरूर बिताना चाहिए। साथ ही उन्हें सेहतमंद जीवनशैली जीने पर जोर देना चाहिए जैसे नियमित रूप से जिम जाना, उछल-कूद वाले खेलों में हिस्सा लेना, जॉगिंग, स्वीमिंग, टेनिस खेलना आदि। इससे जोड़ों के आस-पास की मांसपेशियां मजबूत बनी रहती हैं। हॉबी आधारित गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए जैसे डांसिंग, एरोबिक्स, योगा, और टहलना आदि, क्योंकि हड्डियों को दबाव की जरूरत होती है जिसके लिए ये तरीके लाभदायक साबित होते हैं। हर दिन कम से कम दो घंटे अपने पैरों पर थोड़ा दबाव जरूर डालें।  आर्थराइटिस के कई मरीजों को ऐसा लगता है कि वे अपने पसंद की चीजें नहीं कर सकते, जैसे दौडना, तेज गति वाले खेल, लेकिन सही इलाज के साथ लोग इस तरह की गतिविधियों के भी लाभ उठा सकते हैं। 
आर्थराइटिस से बचाव के उपाय 
आर्थराइटिस के प्रभाव को कम करने के लिए युवाओं को अपने भोजन में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम लेना चाहिए। ऑफिस में घंटों एक जगह बैठकर या खड़े होकर काम करने वाले लोगों को हर आधे घंटे पर 5 मिनट का ब्रेक लेकर हांथों और पैरों को स्ट्रेच करना चाहिए। धूम्रपान, उचित रूप से भोजन न करना, शराब पीने जैसी अस्वस्थकर आदतें हड्डियों की कार्यप्रणाली पर विपरीत प्रभाव डालते हैं और इससे उन लोगों में आरए होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इन आदतों को सुधारें। प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ लें, जिसमें वसा की मात्रा कम हो और पर्याप्त मात्रा में खनिज हों। जंक फूड खाने से बचना चाहिए क्योंकि इससे केवल वजन बढ़ता है।  यदि किसी को बचपन में मिरगी की समस्या रही हो तो उनके शरीर में कैल्शियम का अवशोषण होने में परेशानी होती है। इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करें।  यदि आपके पैरों में एक हफ्ते से अधिक दर्द या कड़ापन महसूस हो तो देर न करें और तुरंत ही रूमेटोलॉजिस्ट से सलाह लें। यदि जरूरत होगी तो वे आपको ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह देंगे। 

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