पहली बार जानवर का जन्म हुआ आईवीएफ तकनीक से

  पहली बार जानवर का जन्म हुआ आईवीएफ तकनीक से 

 पशुधन में सुधार की दरकरार 





गोंदिया। भारत के हर क्षेत्र कृषि, वाणिज्य, प्रौद्योगिकी रक्षा उपभोक्ता, परिवहन, स्वास्थ्य सहित हर क्षेत्र में भारत के नए आयामों को की बारिश हो रही है। एक के बाद एक सफलताओं के अंतिम सफ़ल अंजाम की ओर हम पहुंच रहे हैं। साथियों यह उस नए भारत की तस्वीर साफ़ होते जा रही है जो अपने संकल्पों की सिद्धि के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करता है। यह देश के सामने एक प्रतिबिंब है। साथियों पिछले कुछ महीनों से हम प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से पढ़ व देख रहे हैं कि पीएम से लेकर अनेक कैबिनेट व राज्य मंत्री अनेक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों की अध्यक्षता कर रहे हैं, कई अंतर्राष्ट्रीय विभिन्न वेबिनारों में प्रमुख उपस्थिति के रूप में भाग ले रहे हैं। यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। जबकि घरेलू स्तर पर भी भारत नए-नए आयाम प्राप्त कर रहा है। वैक्सीनेशन हंड्रेड करोड़ प्लस,कोरोना अंतिम सांसे गिन रहे रहीं है, अर्थव्यवस्था फ़िर उठ खड़ी हो रही है, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी के नए-नए आयाम प्राप्त हो रहे हैं। साथियों बात अगर हम स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी की करें तो दिनांक 23 अक्टूबर 2021 को ही हमें स्वास्थ्य क्षेत्र, प्रौद्योगिकी क्षेत्र के नए आयाम प्राप्त हुए हैं। भारत में कृत्रिम गर्भधारण की आईवीएफ तकनीकी नए आयाम पर पहुंची है। देश में पहली बार किसी जानवर का जन्म आईवीएफ तकनीकी से हुआ है, जिसकी दरकरार भारत में पशुधन के सुधार में काफी अहम मानी जा रही है ऐसा दृष्टिकोण वैज्ञानिकों का है। साथियों बात अगर हम कृत्रिम गर्भधारण की आईवीएफ तकनीकी के माध्यम से जानवरों के गर्भधारण की करेंतो पीआईबी की  23 अक्टूबर 2021 की विज्ञप्ति के अनुसार, कृत्रिम गर्भाधान की आईवीएफ तकनीक से भारत में पहली बार भैंस का गर्भाधान किया गया और बछड़े ने जन्म लिया। यह भैंस बन्नी नस्ल की है। इसके साथ ही भारत में ओपीयू - आईवीएफ तकनीक अगले स्तर पर पहुंच गई। पहला आईवीएफ बछड़ा बन्नी नस्ल की भैंस के छह बार आईवीएफ गर्भाधान के बाद पैदा हुआ। यह प्रक्रिया सुशीला एग्रो फार्म्स के किसान विनय एल. वाला के घर जाकर पूरी की गई। यह फार्म गुजरात के सोमनाथ जिले के धनेज गांव में स्थित है। साथियों पीएम ने जब 15 दिसंबर, 2020 को गुजरात के कच्छ इलाके का दौरा किया था, तब उस समय उन्होंने बन्नी भैंस की नस्ल के बारे में चर्चा की थी। उसके अगले ही दिन, यानी 16 दिसंबर, 2020 को बन्नी भैंसोंके अंडाणु निकालने (ओपीयू) और उन्हें विकसित करके भैंस के गर्भशय में स्थापित करने (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन- आईवीएफ) की प्रक्रिया शुरू करने कि योजना बनाई गई। एक जानकारी के अनुसार इस तकनीक के जरिए भैंस के बच्चे का जन्म कराए जाने का उद्देश्य आनुवांशिक तौर पर अच्छी मानी जाने वाली इन भैंसों की संख्या बढ़ाना है, ताकि देश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाया जा सके। वैज्ञानिकों के अनुसार बन्नी भैंस शुष्क वातावरण में भी अधिक दुग्ध उत्पादन की क्षमता रखती है। जानकारों ने कहा कि आने वाले समय में अगर आईवीएफ के जरिए और भैंस की संख्या बढ़ाई जाती है तो जल्द ही दुग्ध का उत्पादन भी बढ़ सकेगा। साथियों बात अगर हम इस कृत्रिम गर्भधारण की आईवीएफ तकनीकी का निसंतान महिलाओं के परिपेक्ष में करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार नि:संतानता इन दिनों महिलाओं में बड़ी समस्या बनती जा रही है। लेकिन नवीनतम चिकित्सा तकनीकों ने इलाज के कई विकल्प उपलब्ध कराए हैं जो उम्मीद की किरण जगाते हैं। आईवीएफ भी ऐसी ही तकनीक है। आईवीएफ याने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक है।इसकी मदद से नि:संतान दंपती भी संतान सुख पा सकते हैं। इसमें महिला के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैबोरेट्री में एक साथ रखकर फर्टिलाइज करने के बाद महिला के गर्भ में ट्रांसफर कर देते हैं। इस प्रक्रिया को एम्ब्रियो कल्चर व टैस्ट ट्यूब बेबी भी कहते हैं। एक अनुमान की माने तो 70-80 प्रतिशत नि:संतान दंपती का इलाज दवाओं और 20-30 प्रतिशत मरीजों को आईवीएफ की ज़रूरत पड़ती है। महिलाओं की अधिक उम्रमें शादी,प्रोफेशनल लाइफ के चलते देरी से फैमिली प्लानिंग, खानपान पर ध्यान नदेना हाइजीन का अभाव, नौकरी का तनाव, जागरुकता की कमी, पैल्विक इंफ्लेमेट्री डिजीज यानी बच्चेदानी के आसपास सूजन भी कारण हैं। पुरुषों में स्पर्म डिफेक्ट, काउंट कम होना आदि कारणों से भी परेशानी हो सकती है संतान हीनता एकऐसी समस्या है, जिससे दुनिया भर में 10 प्रतिशत से भी ज्यादा शादीशुदा जोड़े प्रभावित हैं। हमारे देश में भी इनफर्टिलिटी यानी संतानहीनता की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। डॉक्टर इसकी मुख्य वजह पिछले कुछ दशकों में हमारी जीवनशैली में हुआ बहुत बड़ा बदलाव मान रहे हैं। आईवीएफ अर्थात इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, यह गर्भधारण की एक कृत्रिम प्रक्रिया है। आईवीएफ प्रक्रिया के माध्यम से पैदा हुए बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है। यह तकनीक उन महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो किन्ही कारणों से माँ नहीं बन पा रही हैं। यही कारण है कि आईवीएफ की मांग लगातार बढ़ रही हैं और लोग इस तकनीक का लाभ उठा रहे हैं। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत में कृत्रिम गर्भधारण की आईवीएफ तकनीकी नए आयाम पर पहुंच चुकी है क्योंकि देश में पहली बार किसी जानवर का जन्म आईवीएफ तकनीकी से हुआ है। पशुधन में सुधार की दरकरार भारत में ज़रूरी है।आज हमारा भारत सामर्थ्यता का प्रतिबिंब है। हम उस नए भारत की तस्वीर देख रहे हैं जो अपने संकल्पों की सिद्धि के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करता है।



-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ 
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी 
गोंदिया महाराष्ट्र

Comments

Popular posts from this blog

नाहटा की चौंकाने वाली भविष्यवाणी

मंत्री महेश जोशी ने जूस पिलाकर आमरण अनशन तुड़वाया 4 दिन में मांगे पूरी करने का दिया आश्वासन

उप रजिस्ट्रार एवं निरीक्षक 5 लाख रूपये रिश्वत लेते धरे