Rs-cit सेन्टर चलाने वाले बालाजी कम्प्यूटर का फर्जीवाड़ा

 Rs-cit सेन्टर चलाने वाले बालाजी कम्प्यूटर का फर्जीवाड़ा 


कम्प्यूटर कोर्स कराने के नाम पर रूपये हडपे 

राज्य सरकार ने सभी व्यक्तियों को कंप्यूटर का प्रारंभिक ज्ञान उपलब्ध कराने के लिए आरएस-सीआईटी (Rs-cit) के माध्यम से  विशेष पाठ्यक्रम शुरू किया है। इस पाठ्यक्रम की सभी क्षेत्रों में आवश्यकता है। लेकिन यह पाठ्यक्रम सुविधा बनने की जगह एक आफत बन चुका है। 

अधिकांशतः  यह देखा गया है कि इसके माध्यम से सेंटर चलाने वाले लोग अनजान और भोले भाले लोगों को ठग रहे हैं। राज्य के कई भागों से ऐसी शिकायतें समय समय पर मिल रही हैं। झालाना स्थित इसके मुख्यालय में भी कई अभिभावकों ने परेशान किए जाने की शिकायतें भी भेजी हैं। लेकिन विभागीय अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगने के कारण लूट - खसोट का माध्यम बने  केंद्र के कर्मचारी व अधिकारी  अब हर व्यक्ति को कहते हुए सुने जा सकते हैं। जाओ हमारी शिकायत कर दो, क्या हो जाएगा।

 पिछले दिनों ऐसा ही एक उदाहरण जयपुर के निवारू रोड स्थित बालाजी कम्प्यूटर में भी देखने को मिला, जिसमें यह देखा गया कि एक अभिभावक ने अपनी बच्ची को कंप्यूटर की प्रारंभिक शिक्षा दिलाने के लिए प्रवेश दिलाया।जिसमें तीन महिने का कोर्स कराने के लिए 3300 रूपये शुल्क बताया गया। अभिभावक ने 2000 रूपये चैक के द्वारा 25 अक्टूबर 2021 को तत्काल  जमा करवा दिये । शेष राशि 1300 रूपये भी जल्द जमा करने के लिए कह दिया । लेकिन सेंटर से बार बार फोन कर उन्हें तथा बच्ची को मानसिक रूप से प्रताड़ित तथा अभद्रता की गई। इसके अलावा बच्ची को सिखाने के नाम पर खराब कम्प्यूटर के सामने बैठा दिया जाता तथा सिखाने वाले टीचर के नाम पर कभी कभार कोई महिला आकर पूछ लेती कि आप क्या जानती हो इसके बारे में? अरे भाई जब तक बच्चों को कुछ बताओगे नहीं तो वो क्या समझेगा। पैसा तुमको मुंहमांगा चाहिए, पढाई के नाम पर जीरो! ऐसा फर्जी वाड़ा कब तक चलेगा?

 सेन्टर संचालक महेश कुमावत से जब इस बारे में बताया गया तो उन्होंने उल्टे अभिभावक को धमकाते हुए कहा कि हम तो ऐसे ही करेंगे तेरे को जो करना हो कर लेना। सूत्रों के अनुसार इस बालाजी कम्प्यूटर द्वारा फर्जी सर्टिफिकेट दिलाने के भी मामले भी सामने आए हैं। यदि इसके द्वारा अभी तक उपलब्ध कराये गये सर्टिफिकेट की जांच की जाये तो कई फर्जीवाडे सामने आ सकते हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर कई लोगों ने बताया कि इस महेश कुमावत के बहुत सारे फर्जी वाडे सामने आ सकते हैं। यदि इसके कारनामों की भली भांति जांच पड़ताल हो।  राज्य सरकार इस योजना पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। पिछले दिनों जितने भी सरकारी नियुक्तियों के आवेदन आए उनमें कंप्यूटर का प्रारंभिक ज्ञान होना आवश्यक बताया गया था ऐसी स्थिति में कई लोगों ने जोड़ तोड़ कर बेसिक कंप्यूटर का सर्टिफिकेट भी बनवाया। लेकिन राज्य सरकार आरएस - सीआईटी के माध्यम से  संचालित केंद्रों का प्रमाण पत्र ही मानती है।  ऐसी स्थिति में सरकार  की योजना लोगों लोगों का भला करने की जगह एक आफत बन चुकी है यदि विभाग ने समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया तो सरकार के करोड़ों रुपए पानी में जाने की संभावना है। 

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