सिलिकोसिस पीड़ितों को नहीं मिल रही है राहत

 सिलिकोसिस पीड़ितों को नहीं मिल रही है राहत


जवाबदेही को लेकर लोगों ने गांव से लेकर जयपुर तक के अनुभव किए साझा 


 आज के युवा महात्मा गांधी जी के संदेश को अपनाएं और वे जो बदलाव देश और दुनिया में चाहते हैं वह अपने आप में करें - हिमांशु कुमार 


देश में कंपनियां ही राज चलाती हैं  इसलिए आदिवासियों की जमीन पूंजीपतियों को दी जा रही है- कविता श्रीवास्तव 

शहीद स्मारक जयपुर  । सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा राज्य में जवाबदेही कानून को लेकर शहीद स्मारक पुलिस आयुक्त कार्यालय के सामने चल रहे जवाबदेही धरने में आज छोटे से छोटे  गांव और ढाणी से लेकर जयपुर में स्थित शासन सचिवालय में विभागीय अधिकारियों के दखल के बाद भी सिलिकोसिस पीड़ितों को राहत नहीं मिल रही है।


भीलवाड़ा जिले की बदनोर पंचायत समिति के जयसिंह पुरा गांव से आई पानी देवी ने बताया कि उनके पति को सिलिकोसिस नामक जानलेवा बीमारी थी उसकी वजह से उनकी मौत हो गई लेकिन उन्हें आज तक ना तो खाद्य सुरक्षा के तहत राशन मिल रहा है और ना ही उनके बच्चों को पालनहार योजना का लाभ दिया जा रहा है जबकि 2019 में राज्य में लाई गई सिलिकोसिस नीति के अनुसार सिलिकोसिस से पीड़ित व्यक्ति के सभी बच्चों को पालनहार योजना का लाभ दिया जाना जरूरी है तथा खाद्य सुरक्षा योजना में उन्हें स्वतः ही जोड़े जाने का प्रावधान किया गया है।


भीलवाड़ा जिले की बदनोर पंचायत समिति के मोठी गांव से आए पारस सिंह ने बताया कि सिलिकोसिस नामक जानलेवा बीमारी से वह पीड़ित है लेकिन उनके बच्चों को आज तक पालनहार योजना का लाभ नहीं दिया गया है तथा इसी प्रकार नीति आने के बाद राहत के तहत कुल 5 लाख की सहायता राशि दी जाती है लेकिन उनको पुराने नियमों के अनुसार सहायता राशि दी गई है। जबकि सिलिकोसिस नीति में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि जब से नीति लागू होगी उस समय से सभी सिलिकोसिस पीड़ितों के ऊपर नीति के प्रावधान लागू होंगे।

प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक हिमांशु कुमार आज जवाबदेही धरने में शामिल हुए और उन्होंने कहा कि आज के युवा जो बदलाव देश और दुनिया में चाहते हैं उन बदलावों को वह पहले स्वयं में करें तभी देश और दुनिया में बदलाव आएगा। उन्होंने अपने परिवार का गांधीजी के साथ जुड़ाव का अनुभव साझा किया। उन्होंने उनके ऊपर  छत्तीसगढ़ की तत्कालीन रमन सिंह सरकार द्वारा किए गए अत्याचारों के बारे में विस्तार से बताया कि किस प्रकार उनका आश्रम छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बुलडोजर से ढहा दिया गया और उनके ऊपर कई मामले दर्ज कर लिए गए जिसकी वजह से उन्हें छत्तीसगढ़ छोड़ना पड़ा। 

प्रसिद्ध मानव अधिकार कार्यकर्ता एवं पीयूसीएल की राज्य अध्यक्षा कविता श्रीवास्तव ने कहा कि आदिवासी बहुल इलाकों में बहुमूल्य खनिज पाए जाते हैं इसलिए कंपनियां उनकी जमीन लेना चाहती है वैसे तो देश का राज्य व्यवस्था कंपनी चलाती हैं देश में कंपनी राज स्थापित हो गया है उन्हीं के अनुसार देश के फैसले लिए जाने लगे हैं उन्होंने कहा की कंपनी राज के आधार पर आदिवासियों का दमन किया जाना बंद किया जाना चाहिए।


धरने में कई जिलों के लोग आए और उन्होंने जवाबदेही की बात अपने घर, गांव से लेकर ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला और जयपुर सचिवालय तक की उनमें से हीरालाल ने बताया कि कई शिकायतों को लेकर ग्राम पंचायत ब्लॉक और जिला स्तर पर जाते हैं तथा आगे भी डाक के द्वारा शिकायतों को भेजा जाता है लेकिन शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं होती और कोई जवाब भी प्राप्त नहीं होता है। उन्होंने कहा कि जवाबदेही की व्यवस्था ग्राम पंचायत से लेकर राज्य स्तर पर बनाए जाने की आवश्यकता है।


 *मूंडिया गांव में जवाबदेही कानून के समर्थन में हुई सभा* 

आज जवाबदेही आंदोलन के समर्थन में मूंडिया गांव में बैठक हुई जिसमें कलाकारों और घुमंतु लोगों ने भाग लिया और जवाबदेही आंदोलन को समर्थन दिया। यहां पर कला क्षेत्र से जुड़े रामलाल भट्ट, पारस बंजारा ने मजदूरों और कलाकारों को आ रही समस्याओं के बारे में अपनी बात रखी।


 *कल बेघर, कलाकार और घुमंतुओं के मुद्दों पर जन सुनवाई* 

कल दिनांक 6 मार्च को जवाबदेही धरने में बेघर, कलाकार और घुमंतुओं के मुद्दों पर जन सुनवाई होगी। इस जन सुनवाई में जयपुर में रह रहे बेघर, सड़क पर सोने वाले लोग, विभिन्न  बस्तियों में रहने वाले कलाकार और घुमंतु लोग भाग लेंगे और अपनी समस्याओं को रखेंगे। वे यह भी बताएंगे कि जवाबदेही की व्यवस्था क्यों जरूरी है उन्हें बिना जवाबदेही किस प्रकार के हालातों का सामना करना पड़ रहा है। 


 *जवाबदेही धरना क्यों* 

पिछले 10 वर्षों से जवाबदेही कानून के लिए आंदोलन चल रहा है। हर व्यक्ति छोटे छोटे काम के लिए और समस्याओं के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन उनके काम होते नहीं हैं और वे आगे से आगे अपना आवेदन देते रहते हैं यहां तक कि देश के महामहिम राष्ट्रपति को पत्र भेजते हैं लेकिन तब भी उनके काम नहीं होते हैं। इसलिए निर्धारित समय में काम और समस्याओं के समाधान की व्यवस्था बने और समय पर काम, समस्या का निराकरण नहीं करने या जवाब नहीं देने पर जिले और राज्य स्तर पर स्वतंत्र अधिकरण और आयोग बने जो सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों के ऊपर  जुर्माना लगाए, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करे और शिकायतकर्ता को मुआवजा दिलाए।


 

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