पत्रकारों को लिखने की हिम्मत प्रदान करना सरकार और समाज की जिम्मेदारी: कर्नल राज्यवर्धन सिंह

 पत्रकारों को लिखने की हिम्मत प्रदान करना सरकार और समाज की जिम्मेदारी: कर्नल राज्यवर्धन सिंह


जयपुर। सच और सटीक लिखने वाले पत्रकारों के सामने सुरक्षा को लेकर चुनौतियां है, पत्रकारों को लिखने की हिम्मत प्रदान करना सरकार और समाज की जिम्मेदारी है। यह बात पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और जयपुर ग्रामीण के सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने सोमवार को जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान 'जार' के ग्रीनफ़ील्ड रिसोर्ट ताला जयपुर में आयोजित प्रदेश अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने कहा कि सही ताकतों को एक साथ आना जरूरी है। पत्रकार का पेशा साधारण पेशा नहीं है। जनता की भावनाओं को प्रखर तरीके से रखने वाला पत्रकार होता है। वह केवल नागरिकों के ही नहीं सरकारों के भी आंख और कान होता है। 


जयपुर शहर के समीप जमवारामगढ़ के ग्रीन फील्ड रिसोर्ट में आयोजित जार के इस अधिवेशन में उन्होंने डिजिटल मीडिया को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भले ही व्यक्ति मोबाइल पर डिजिटल मीडिया के संपर्क में अधिक रहता है लेकिन किसी भी खबर की पुष्टि में आज भी राजा प्रिंट मीडिया ही है, पाठक 24 घंटे इंतजार करता है और अखबार में लिखी गई बात को ही सटीक व सत्य मानता है। 


कर्नल राज्यवर्धन सिंह ने पत्रकारों की सुरक्षा को महत्वपूर्ण मानते हुए यह भी कहा कि पत्रकारों को वरिष्ठ पत्रकारों के सानिध्य में ट्रेनिंग की भी जरूरत है जिससे वे उनके अनुभव का लाभ अपने कामकाज में ले सकें और पत्रकारिता को प्रखर बना सकें।


कार्यक्रम के मुख्य वक्ता  जार के संस्थापक गोपाल शर्मा ने पत्रकारों की एकजुटता पर बल देते हुए कहां कि आजकल जो पत्रकारिता हो रही है वह पत्रकारिता है भी या नहीं, इस पर भी विचार करना होगा। पहले पत्रकार की कलम से नाराजगी का कोई सिस्टम नहीं था। उन्होंने कहा कि एक वक्त था जब मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत पत्रकारों के सामने पूरी कैबिनेट के साथ श्रोता बन कर बैठते थे, आज ऐसा नहीं होता। आज के दौर में सच्चे पत्रकार का जीवनयापन भी कठिन हो गया है। पत्रकार की स्थिति याचक जैसी हो गई है। ऐसे में सही कलम चलाने पर जान की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा और उसका स्वाभिमान से जीना कैसे सुनिश्चित होगा। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद एनयूजेआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रासबिहारी शर्मा से आग्रह किया कि वे राष्ट्रीय स्तर पर एक वृहद समिति का गठन करें और अगले 3 महीने के अंदर अंदर पूरे देश में पत्रकारों की स्थिति का सर्वेक्षण कर उसकी एक रिपोर्ट केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को भेजें। उन्होंने पत्रकारों को सीख दी कि यदि हम झुकेंगे नहीं और बिकेंगे नहीं तो कोई हमें पराजित नहीं कर सकता।


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एनयूजेआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रासबिहारी शर्मा ने कहा कि पत्रकार संगठन सरकार के खिलाफ हो सकते हैं लेकिन देश हित के खिलाफ कभी नहीं होते। देश के 90प्रतिशत पत्रकार आज भी ईमानदार है। जो गैर पत्रकार हैं वही लूटखसोट कर रहे हैं।  पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बनने वाला कानून लोकतंत्र की सुरक्षा का कानून होगा क्योंकि लोकतंत्र की रक्षा के लिए ही पत्रकार अपनी कलम चलाता है। उन्होंने कहा कि मीडिया संस्थान वेजबोर्ड नहीं मानते, इसका मतलब 1955 का वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट भी नहीं मानते, ऐसे में वर्किंग जर्नलिस्ट की परिभाषा ही बची नहीं है। किसी भी संगठन से जुड़कर पत्रकारों के हित की बात करने वाले को मीडिया संस्थान नौकरी भी नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि देश में मीडिया कमीशन बनना चाहिए जो पत्रकारों के हालात की लगातार समीक्षा कर उनके संदर्भ में सरकारों को फीडबैक देता रहे।

जार के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा ने कहां कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए पत्रकारों की अहम भूमिका रही है। बावजूद इसके पत्रकारों की सुरक्षा व सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पत्रकार सुरक्षा कानून, वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट, पत्रकार आवास योजना समेत अन्य पत्रकार हित के मुद्दों को लेकर सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को ज्ञापन देकर केंद्र सरकार से उक्त मांगों के समाधान की मांग की। इस मौके पर पूर्व विधायक जगदीश मीणा, आनंद डालमिया, जार महासचिव संजय सैनी ने विचार रखे। जार जयपुर ग्रामीण अध्यक्ष जगदीश शर्मा, महासचिव बजरंग शर्मा, संरक्षक रामजी लाल शर्मा ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में पाली के पत्रकार ओम चतुर्वेदी सहित अनेक पत्रकारों को सम्मानित किया।

जार अधिवेशन में कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने 2014 से पहले विज्ञापन के अनियमित बंटवारे पर कहा कि 2014 के बाद उन्होंने अपने मंत्री काल में हिंदी व क्षेत्रीय मीडिया को अंग्रेजी से ज्यादा महत्व दिया, जिसका असर आज यह है कि लुटियंस दिल्ली अब खत्म हो चुकी है। हिंदी और रीजनल के समाचार पत्रों को बढ़ावा मिला।

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