पुलिस के साए में दहशत में रहा एक परिवार,

ग्राम सायपुरा में जबरन बेकाबिज  बेदखल करवाने का पुलिस पर गंभीर आरोप,




            पुलिस के साए में दहशत में रहा एक परिवार


जयपुर । राजधानी  मात्र 13 किलोमीटर जमवारामगढ़ रोड स्थित ग्राम सायपुरा स्थित फार्म हाउस पर कोर्ट का स्टे आर्डर होने के बावजूद पुलिस पर मय जाप्ता  एक परिवार को  बेदखल करने की कार्यवाही को अंजाम देने का आरोप पीड़ितों के वकील ने लगाया है।


जमवारामगढ़ में उपखंड अधिकारी द्वारा कोर्ट से स्टे आर्डर के बावजूद एक पार्टी के समर्थन में पुलिस ने कल  25 अगस्त को जबरन परिवारजनों को फार्म हाउस में सुबह से ही नजर बंद कर दिया । उनके मोबाइल छीन लिए गए जिससे वह किसी से संपर्क नहीं कर सके।


 पुलिस की एक जिप्सी बाहर खड़ी थी।  मेन गेट बंद कर दिया गया था।  किसी को भी आने जाने की इजाजत नहीं दी जा रही थी। मीडिया जब वहां पहुंची तो मीडिया को भी पुलिस ने अंदर नहीं आने दिया ना ही अपनी बात रखने के लिए परिवार जन के किसी भी सदस्य को मीडिया से रूबरू होने का मौका दिया गया। परिवार जन के वकील ने जैसे तैसे बाहर आकर मीडिया के सामने अपनी बात रखी । उन्होंने कहा कि परिवार जन को जबरन  बेदखल करने की कार्रवाई करने में जयसिंह पुरा खोर की पुलिस आमादा है। जबकि पुलिस के पास ऐसा कोई अधिकृत आदेश नहीं बताया जा रहा है।जिससे कि इस परिवार को बेदखल किया जाए। परिवार जनों द्वारा कोर्ट का स्टे भी दिखाया गया ।


 अब यह समझ से परे है कि किसके इशारे पर पुलिस का जाप्ता  अंदर मौजूद है और परिवार को जबरदस्ती बाहर निकालने पर आमादा है।


अंदर से मिली जानकारी के अनुसार परिवार सुबह से भूखा है किसी से संपर्क नहीं कर पा रहा है। इसके अलावा परिवार की कुछ महिलाओं के गंभीर रूप से बीमार होने की भी खबर बताई जा रही है। जिन्हें डॉक्टर को दिखाने तक कि भी जहमत पुलिस द्वारा नहीं उठाई गई,यदि कोई गंभीर हादसा हो गया तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।


वकील बबलू शर्मा ने बताया की अगर पुलिस अपनी हरकतों से बाज नहीं आती है तो कोर्ट में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा।


मीडिया कर्मियों को भी अंदर नहीं जाने दिया । एसएचओ से मीडिया ने अपना पक्ष रखने के लिए कहा तो उन्होंने अनसुनी करते हुए फार्म हाउस से बाहर आने की भी जहमत नहीं उठाई। अब यह तो जांच का विषय है कि पुलिस क्यों इस तरह की कार्यवाही को अंजाम देने में तत्पर है। हालांकि इसकी जानकारी पीड़ित पक्ष द्वारा स्थानीय विधायक , जलदाय मंत्री एवं खाद्य मंत्री को दे दी गई है।

 

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