“ लोकतंत्र में लोक संवेदना व अभिव्यक्ति “ विषयक विचार गोष्ठी
“ लोकतंत्र में लोक संवेदना व अभिव्यक्ति “ विषयक विचार गोष्ठी
लोकतंत्र में जनता की संवेदनाओं को समझना बहुत ज़रूरी है - डी. एस. चोपड़ा
जयपुर , 26 जनवरी ।” लोकतंत्र में जनता की संवेदनाओं को समझना बहुत ज़रूरी है ।जनता की संवेदनाओं को नज़रअंदाज़ करने से देश कमजोर होता है ।” उक्त विचार आज समर्पण संस्था द्वारा गणतंत्र दिवस पर आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त आईआरएस डी. एस. चोपड़ा ने व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि “हमारे लोकतंत्र में संविधान को ही सर्वोच्च माना गया है । लोकतंत्र के तीनों स्तम्भों न्यायपालिका, विधायिका व कार्यपालिका में टकराव नहीं होना चाहिये । साथ ही चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया को जनता की आवाज़ का ध्यान रखना चाहिये ।”
उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “ बोलने की स्वतंत्रता में पक्षपात ठीक नहीं है ।अभिव्यक्ति में लक्ष्मण रेखा का ध्यान भी जरूरी है । इससे पूर्व संस्था कार्यालय के सामने मुख्य अतिथि डी. एस. चौपडा ने अन्य अतिथि व पदाधिकारियों के साथ ध्वजारोहण किया। तत्पश्चात विचार गोष्ठी की शुरुआत दीप प्रज्जवलन के साथ समर्पण प्रार्थना से की गई जिसे संस्था के कोषाध्यक्ष रामवतार नागरवाल व आर्किटेक्ट अंजली माल्या ने प्रस्तुत किया।
संस्था के संस्थापक अध्यक्ष आर्किटेक्ट डॉ. दौलत राम माल्या ने अपने स्वागत भाषण में संस्था के सिद्धांत व कार्यक्रमों की विस्तृत व्याख्या करते हुए अपने विचार व्यक्त किये। मुख्य वक्ता सशस्त्र बल अधिकरण की रजिस्ट्रार आरएचजेएस डॉ. चेतना ने कहा कि लोकतंत्र में समस्तजन चाहे शक्तिशाली हो, कमजोर हो, अमीर हो, गरीब हो , महिला हो, पुरूष हो सबकी बात का सम्मान होता है सबको समान महत्व दिया जाता है । लोकतंत्र में लोक संवेदना सर्वोपरि होती है ।
मुख्य वक्ता राजस्थान जन आधार प्राधिकरण, आयोजना विभाग के संयुक्त निदेशक सीताराम स्वरूप ने कहा कि “ संविधान की शब्दसय पालना में अभिव्यक्ति बहुत बड़ा विषय है । अपनी बात को प्रकट किये बग़ैर दुसरे तक पहुँचाना मुश्किल होता है । लोकतंत्र में अभिव्यक्ति का महत्व बहुत बड़ा है ।अभिव्यक्ति में संवेदनशीलता का पैमाना भी ज़रूरी है । संवेदना की गहराई भी समय के साथ बदलती रहती है । कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि अनिल कुमार जैन ( सेवानिवृत्त प्रधान आयकर आयुक्त, आयकर विभाग) व आर.बी. फन्डा ( सेवानिवृत्त सहायक महाप्रबन्धक, नाबार्ड) ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर गायक रमेश कुमार बैरवा ने एक देशभक्ति गीत व कवि राम लाल रोशन ने समर्पण गीत प्रस्तुत किया। लोक कलाकार चिरमी सपेरा ने एक लोकनृत्य प्रस्तुत किया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राजस्थान हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व बार कोंसिल आफ इण्डिया के पूर्व चेयरमेन बीरी सिंह सिनसिनवार ने कहा कि “ एक दूसरे की भावनाओं को समझने पर परिवार, समाज और देश आगे बढ़ता है । भारत में सबसे ज़्यादा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है । आज लोग अपने अधिकारों की तो बात करते हैं लेकिन कर्तव्यों की तरफ़ ध्यान नहीं देते हैं । कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि जगदीश नारायण बैरवा ( सेवानिवृत्त, उपखण्ड अधिकारी SDM ), नवल सिंह मीना ( सेवानिवृत्त मुख्य प्रबंधक, बैंक ऑफ़ बड़ौदा ), श्याम मोहन व्यास (सेवानिवृत्त उप महाप्रबंधक , बैंक ऑफ़ बैंक बड़ौदा ), के.के. अरोड़ा ( सेवानिवृत्त अधीक्षक , कस्टम व जीएसटी विभाग), मयंक बैरवा ( Director, Shreenidhi Infrasolution Pvt. Ltd. ), आर्किटेक्ट श्री कृष्ण ( Space Grid Architects), डॉ. नरेन्द्र कुमार बैरवा ( Consultant Cardiologist , DR. NK Super Speciality Heart Care and NIMS Hospital), रिम्मु खण्डेलवाल ( एक्सपोर्ट व्यवसायी, हैडीक्राफ्ट हवेली ), श्रीमती स्वाति जैन ( समाज सेविका, पूर्व अध्यक्ष इनर व्हील क्लब, जयपुर प्राइड ), श्रीकिशन जोनवाल ( भवन निर्माता, के. के. कन्स्ट्रक्शन्स ), महेश सैनी ( Managing Director, R D Saini Buiders & Developers), आर्किटेक्ट दिनेश शर्मा ( सुकृति, Interior and 3D designer) भी उपस्थित रहे ।
संस्था के मुख्य सलाहकार व पूर्व ज़िला न्यायाधीश उदय चंद बारूपाल ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम में संस्था सदस्यों के अलावा अनेक गणमान्य व समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने प्रमुखता से भाग लिया। मंच संचालन आरजे व वॉयस आवर आर्टिस्ट नवदीप सिंह ने किया ।
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