प्रबोधक संघ ने लगाया कैडर की घोर उपेक्षा करने का आरोप

प्रबोधक संघ ने लगाया कैडर की घोर उपेक्षा करने का आरोप

जयपुर । अखिल राजस्थान  प्रबोधक संघ के प्रदेश अध्यक्ष हरलाल सिंह डूकिया  ने बताया कि जयपुर स्थित राजस्थान विधानसभा में 1 मार्च को  2023 प्रबोधक कैडर की पदोन्नति को स्पष्ट रूप से द्वितीय श्रेणी अध्यापक के समकक्ष वरिष्ठ प्रबोधक पद पर करने की मांग उठाई गई थी साथ ही जालोर विधायक छगन सिंह राजपुरोहित , भादरा विधायक बलवान सिंह पूनिया एवं कपासन विधायक अर्जुन लाल जीनगर ने प्रबोधक पदोन्नति एवं पुरानी करने सेवा तथा अन्य समस्याओं के समाधान की मांग करते हुए विधानसभा में प्रबोधको का पक्ष रखा था लेकिन शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने इन सभी विधायकों की मांगों का जवाब देते हुए कहा कि प्रबोधक  को पदोन्नति देकर वरिष्ठ प्रबोधक बना दिया गया है तथा इनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है यह जवाब गैर जिम्मेदाराना और प्रदेश के 25 हजार प्रबोधको को मायूस करने वाला रहा, शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला को प्रबोधक विषय की पूरी जानकारी नहीं होने जैसा प्रतीत होता है प्रबोधक 2008 में ही तृतीय श्रेणी अध्यापक के समकक्ष नियमित राज्य कर्मचारी के रूप में सेवारत हो गए थे तथा समस्त लाभ परिलाभ राज्य कर्मचारी के रूप में मिल रहे हैं आर्थिक स्थिति का सुधरना वर्तमान सरकार का इसमें किसी भी प्रकार की भूमिका नहीं है यह तो सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा हैं ।

अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ खीवसर के ब्लॉक अध्यक्ष नरेन्द्र सियाग  ने बताया की प्रबोधको ने लगातार सरकार से संवाद स्थापित कर लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात सरकार तक पहुंचाई लेकिन इसके परिणाम शुन्य रहे,  प्रदेश के 25 हजार प्रबोधक ने अपनी पीड़ा से विधायकों को अवगत कराते हुए मीडिया के माध्यम से जन जागरण भी किया था  परन्तु  प्रदेश के 25 हजार प्रबोधको में भारी आक्रोश व्याप्त है। 

नरेन्द्र सियाग ने मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार पर प्रबोधक कैडर की घोर उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि बजट घोषणा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रबोधक कैडर की सभी मांगों को नजरअंदाज करते हुए पूरी तरह से उपेक्षा की है । मुख्यमंत्री गहलोत ने 14 जून 2021 को प्रबोधक से वरिष्ठ प्रबोधक पद पर पदोन्नति हेतु 5 हजार पद सृजित किए थे लेकिन उसकी अनुपालना आज तक नहीं हो पाई है, बल्कि पदोन्नति के स्थान पर पदावनति करने का आरोप भी लगाया है ।

वही बजट घोषणा में अनुबंध आधारित सेवाओं को राजकीय सेवा में जोड़ने की घोषणा की गई लेकिन उसमें 25 हजार प्रबोधको को वंचित रखा गया है हरलाल सिंह डूकिया का कहना था कि प्रदेश में 25 हजार प्रबोधको ने शिक्षाकर्मी, लोक जुंबिश, पैरा टीचर के रूप में लंबे समय तक संविदा आधारित सेवाए दी है जिसको प्रबोधक सेवा में जोड़ा जाना अपेक्षित था जिसे भी गहलौत सरकार ने नजर अंदाज किया गया है । वही वेतन विसंगति निवारण हेतु गठित सामंत कमेटी व खेमराज समिति की रिपोर्ट में भी प्रबोधको की मांगों को नजरअंदाज किया गया है वेतन विसंगति के कारण प्रत्येक प्रबोधक को प्रतिमाह 5 से 7 हजार रूपए का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है जिससे प्रदेश के 25 हजार प्रबोधको में भारी आक्रोश व्याप्त है ।

प्रबोधक संघ ने केंद्र के समान पेंशन योग सेवा को 20 वर्ष करने की मांग की थी जिस पर सरकार ने 28 वर्ष के स्थान पर 25 वर्ष किया है जो कि न्यायोचित नहीं है अतः पेंशन योग सेवा को 20 वर्ष किया जावे । वही संघ ने मांग की है कि 1 अप्रैल 22 से पहले रिटायर हुए समस्त प्रबोधक एवं राज्य कर्मचारियों को पूर्ण पेंशन का लाभ दिया जाए उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव किया जाना न्यायोचित नहीं है ।

जबकि मुख्यमंत्री गहलोत ने 2004 के बाद नियुक्त समस्त प्रबोधक एवं राज्य कर्मचारियों को पुरानी पेंशन सेवा का लाभ देना सुनिश्चित किया था जिसका लाभ सेवा निवृत्त हो चुके प्रबोधक एवं कर्मचारियों को नही मिल पा रहा है। 

*सरकार हमेशा से प्रबोधको के साथ करती आ रही है सौतेला व्यवहार*

प्रदेश अध्यक्ष हरलाल सिंह डूकिया ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रबोधक कैडर के साथ शिक्षा विभाग में लगातार सौतेला व्यवहार होता रहा है  शाला दर्पण पोर्टल पर प्रबोधक को सबसे नीचे दर्शा कर एवं चुनाव ड्यूटी में भी जूनियर शिक्षक से सीनियर प्रबोधक को पीओ 3 व 4 लगाकर उनके साथ भेदभाव किया जाता है सभी प्रकार की प्रतिनियुक्तियों यथा मॉडल स्कूल, मेवात बालिका विद्यालय, विवेकानंद मॉडल स्कूल,समग्र शिक्षा, महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों, कस्तूरबा हास्टल एवं जनजाति छात्रावासों से वंचित करके  भेदभाव किया जा रहा है जो कि न्यायोचित नहीं है । हरलाल सिह डूकिया ने कहा कि सरकार  संघ से तत्काल वार्ता कर उक्त मांगों का निस्तारण करें ।


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