भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म शिविर,

             भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म शिविर,

           फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का समापन


जयपुर (  जे पी शर्मा)। श्री सत्य साई महिला महाविद्यालय, भोपाल में 28 मई से 2 जून तक आयोजित प्रांत स्तरीय छः दिवसीय भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म शिविर तथा फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का अत्यंत उत्साहपूर्ण वातावरण में समापन हुआ। समापन सत्र की मुख्य अतिथि आईपीएस अनुराधा शंकर सिंह रही। कार्यक्रम का प्रारंभ ओंकारम् एवं सस्वर वेदमंत्रोच्चार से हुआ। मुख्य अतिथि द्वारा भगवान बाबा के समक्ष पुष्पार्पण के पश्चात साई युवा टीम द्वारा स्वागत गीत एवं सई प्रेम तरु से अतिथि अभिनंदन किया गया। तत्पश्चात् महाविद्यालय की निदेशक डाॅ. प्रतिभा सिंह ने स्वागत भाषण द्वारा मुख्य अतिथि का सत्कार किया।प्रांत की बेला सुहानी, साई अब चितचोर है"- संगीता भारद्वाज द्वारा रचित थीम सॉन्ग के गायन  द्वारा वातावरण भक्ति रस से परिपूर्ण हो गया।

इस छः दिवसीय शिविर का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अर्चना  श्रीवास्तव ने शिविर के अंतर्गत आयोजित किए। विभिन्न व्याख्यानों, प्रश्नमंच, नैतिक मूल्यों पर आधारित लघु फिल्म प्रदर्शन, रोल प्ले, खेल- कूद, भोपाल भ्रमण आदि अनेक गतिविधियों का ब्यौरा दिया।महाविद्यालय शासी परिषद् के अध्यक्ष डॉ. मीना पिंपलापुरे ने अपने आशीर्वचन में छात्राओं की गर्मी के मौसम में भी भरपूर उत्साह और दृढ़ संकल्प के साथ शिविर में भाग लेने हेतु प्रशंसा की एवं दिव्य मार्ग पर बढ़ने हेतु शुभकामनाएँ दीं।श्री सत्य साई सेवा संगठन के प्रांताध्यक्ष  अमित दुबे ने अपने उद्बोधन द्वारा शिविरार्थियों को अनेक शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि अपने अंदर बदलाव लाने को जो तैयार रहते हैं, वहीं विश्व में बदलाव ला सकते हैं। यह कार्यक्रम यूनाइट होने का कार्यक्रम है जिसके द्वारा हम भगवान बाबा के दिव्य संदेश को पूरे विश्व में प्रसारित कर सकें। भगवान को अपने जीवन रूपी विमान का पायलट बना लो, फिर कोई भय नहीं।

इस मौके पर शिविरार्थियों ने अपने जीवंत और परिवर्तनकारी अनुभव साझा किए। मुख्य अतिथि डॉ.अनुराधा शंकर सिंह ने कहा कि सत्य, धर्म, प्रेम, शांति, अहिंसा जैसे  रंगों से जीवन को परिपूर्ण करने के उद्देश्य से आयोजित इस शिविर के माध्यम से आप सबने जो परिश्रम किया है, वह अत्यंत सराहनीय है। भारतीय संस्कृति के मूल्य शाश्वत हैं। ऐसे शिविरों के माध्यम से उन्हें जानना, अपनाना, अपनी जीवन शैली का अंग बनाना, जीवन को महान लक्ष्य की ओर ले जाने में निश्चित् ही समर्थ बनाएगा। 'कन्या सुपुत्रयोस्तुल्यम्'- अर्थात कन्या सुपुत्र के समान है। इसलिए इस राष्ट्र को आप जैसी बेटियाँ निश्चित् ही बहुत आगे ले जाएंगी। इस अवसर पर शिविरार्थियों को मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कार एवं प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। विकास अवस्थी ने आभार प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम का संचालन किया शिविर  संयोजक डॉ. अनीता अवस्थी ने ।

इस शिविर में पूरे प्रदेश से आए 100 शिविरार्थियों एवं 40 प्राध्यापकों ने सक्रिय भागीदारी की। 

भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म के विभिन्न पहलुओं को ना केवल सुनकर बल्कि ध्यान ,योग,प्राणायाम,समूह चर्चा के माध्यम से शिविरार्थियों ने जाना और उन्हें अपने जीवन का अंग बनाने के लिए संकल्पबद्ध हुए।

सत्य, धर्म, प्रेम, शांति, अहिंसा पर आधारित समूहों में विभाजित शिविरार्थियों ने अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। महाविद्यालय शासी  परिषद् के सचिव विजय संपत, सत्य साई सेवा संगठन के वरिष्ठ सदस्य जम्बू भंडारी , डाॅ.ऊषा नायर ,महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डाॅ.सुधा पाठक एवं सत्य साई सेवा संगठन के अनेक पदाधिकारी एवं सेवा दल के सदस्य उपस्थित थे। सर्वधर्म प्रार्थना एवं भगवान श्री सत्य साई बाबा की महामंगल आरती द्वारा शिविर का समापन हुआ।

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