विमुक्त घुमंतू और अर्ध घुमंतु जातियों ने किया बहिष्कार आंदोलन
सरकार ने मांगे नहीं मानी तो करेंगे प्रदेशव्यापी आंदोलन- लालजी राईका
विमुक्त घुमंतू और अर्ध घुमंतु जातियों ने विभिन्न मांगों को लेकर किया बहिष्कार आंदोलन
पाली। विमुक्त घुमंतू और अर्ध घुमंतु जातियों की विभिन्न मांगों को लेकर मंगलवार 7 जनवरी को पाली जिला मुख्यालय स्थित राईका समाज छात्रावास पर डीएनटी समुदाय के प्रतिनिधियों ने अपने धर्म गुरु चेतनगिरी महाराज और लक्ष्मणनाथ महाराज के सानिध्य में अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर विशाल "बहिष्कार आंदोलन" किया। इसमें डीएनटी समुदाय के लोगों ने छात्रावास से जिला कलक्टर ऑफिस तक विशाल रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया। इस कार्यक्रम के मुख्य संयोजक एवं राष्ट्रीय पशुपालक संघ के अध्यक्ष और डीएनटी समन्वय समिति के अध्यक्ष लालजी राईका ने बताया कि विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समाजों के लिए रेनेके और इदाते आयोग की रिपोर्ट की सिफ़ारिशों के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों ने नीतियाँ बनाई।
जबकि इन नीतियों में राजस्थान सरकार ने इन डीएनटी वर्ग के प्रति केवल उदासीन रवैया अपनाया है। साथ ही डीएनटी जातियों को सूचीबद्ध करने में अनेक विसंगतियाँ की हैं। जैसे रैबारी लिखा है लेकिन उसके पर्याय शब्द राईका (रायका) और देवासी नहीं लिखा है। इससे उनके विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू पहचान (जाति) सर्टिफिकेट नहीं बन रहे। जोगी कालबेलिया लिख दिया जबकि जोगी और कालबेलिया अलग–अलग है। बावरी लिखा है लेकिन बागरिया नहीं लिखा। बनजारा, भाट और राव एक ही जाति है लेकिन उनमें भी भेद किया गया है। नायक और भोपा एक ही जाति है लेकिन उनको अलग अलग वर्ग में डाल दिया है। इनके सुधार के लिए कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर को ज्ञापन भी दिया लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इन आयोगों की रिपोर्ट पर समन्वय समिति ने माँग पत्र (चार्टर ऑफ़ डिमांड) तैयार किया है। इसमें 10 प्रतिशत अलग आरक्षण, पंचायती राज में 10 प्रतिशत आरक्षण, शिक्षा पर कुल बजट का 10 प्रतिशत डीएनटी पर खर्च, आवास के लिए नई ज़मीन के पट्टे इत्यादि माँगे रखी गई हैं। इस आंदोलन के दौरान डीएनटी परिषद के अध्यक्ष रतननाथ कालबेलिया ने कहा कि बहुत ही दुख की बात है कि इतना करने पर भी सरकार की तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया, जिसका अर्थ हुआ कि सरकार को इन समुदायों के लिए कोई चिंता नहीं। मजबूरन अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए आंदोलन का सहारा लेना पड़ा रहा है। यदि इस आंदोलन के बाद भी सरकार नहीं मानती है तो आगामी 3 फ़रवरी को जोधपुर में महा आंदोलन किया जाएगा। अगर उससे भी सरकार नहीं मानती है तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा और राजधानी जयपुर में महापड़ाव होगा। पाली में हुए “बहिष्कार आंदोलन“ में सरकार की आधी-अधूरी योजनाओं का बहिष्कार कर उस आदेश की होली जलाई गई, जिसमें इन जातियों के साथ विसंगतियाँ की गई हैं, जो अन्यायपूर्ण है। आंदोलन के बाद जिला कलक्टर को ज्ञापन देते हुए लालजी राईका ने कहा कि आंदोलन से सरकार उनकी माँगों को गंभीरता लेगी। इस बहिष्कार आंदोलन में विभिन्न डीएनटी जातियों के प्रतिनिधि बिशना बावरी, अध्यक्ष बावरी समाज, उपाध्यक्ष, गीता बागरिया (बागरिया समाज प्रदेश अध्यक्ष उपाध्यक्ष, दीपाराम बनजारा (उपाध्यक्ष, बनजारा समाज, पूर्व सरपंच, रूपावास), वकील धनराज, गाड़िया लुहार सहित अन्य शामिल रहे।
डीएनटी माँग पत्र में ये नौ प्रमुख मांगें शामिल हैं–
1. डीएनटी समाज को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए, जिसकी सिफ़ारिश रेनके आयोग ने भी की है। राजस्थान में इन जातियों की अनुमानित जनसंख्या लगभग 15 प्रतिशत है इसलिए 10 प्रतिशत आरक्षण की माँग उचित है। इन जातियों में अधिकतर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है लेकिन इनको कोई लाभ नहीं मिल रहा है इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय “आरक्षण के भीतर आरक्षण“ के तहत इन समाजों को अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए।
2. पंचायती राज्य संस्थाओं और शहरी निकायों में इनके लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाए। क्योंकि ये जातियों बिखरी हुई हैं इसलिए एक साथ वोट नहीं कर पाती हैं इसलिए इन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए 10 प्रतिशत सीट राज्यसभा में आरक्षित किया जाए।
3. जहाँ पर इनके आवास हैं या बाडा है, उसको नियमित पर पट्टे दिए जाए।
4. आवासहीनों को शहर में 100 वर्ग गज और गाँवों में 300 वर्ग गज आवास के लिए और 300 वर्ग गज पशुओं के बाड़े के लिए दी जाए।
5. शिक्षा के लिए शिक्षा बजट का 10 प्रतिशत हिस्सा अलग किया जाए और उसमें से इनके लिए आवासीय विद्यालय, कला महाविद्यालय, महा आंगनबाड़ी, हॉस्टल, कौशल कॉलेज इत्यादि खोले जाएं।
6. उन्हें “कहीं भी शिक्षा" का प्रावधान किया जाए और उनके बच्चों को “शिक्षा का अधिकार" में प्राइवेट स्कूल में प्रवेश में प्राथमिकता दी जाए। उनकी फ़ीस की सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाए।
7. महिलाओं और युवाओं को आधुनिक उद्योग जैसे इलेक्ट्रॉनिक, कंप्यूटर मैन्यूफ़ैक्चरिंग में ट्रेनिंग देकर रोज़गार दिया जाए क्योंकि इन जातियों में बचपन से ही कला की प्रवति होती है इसलिए इन उद्योगों के लिए वे कुशल कर्मचारी साबित होंगे। सभी प्राइवेट उद्योगों को इस समाजों को रोज़गार देने का लक्ष्य दिया जाए।
8. प्रतिवर्ष एक हजार विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा के लिए भेजा जाए, जिसका पूरा खर्च सरकार वहन करे।
9. डीएनटी के लिए अलग मंत्रालय, वित्त निगम और लोन की सुविधा होनी चाहिए।
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