शिष्यों के स्नेह से सजी विदाई
शिष्यों के स्नेह से सजी विदाई :
प्राचार्य डॉ. रावसाहेब जाधव सेवा-अवकाश समारोह
"सेवा समर्पण की ज्योति, गुरु ने जग में फैलाई।
साधना की अमर गाथा, आज की विदाई में दोहराई ।"
नादेंड (डॉ. प्रकाश शिंदे) । सेवा-अवकाश का अवसर केवल किसी अध्यापक के कार्यकाल की पूर्णता नहीं होता, बल्कि उनके जीवनभर की निष्ठा, तपस्या और शिक्षा-साधना का उत्सव होता है। डॉ. रावसाहेब जाधव जैसे आदर्श व्यक्ति, छात्र प्रिय अध्यापक एवं उत्कृष्ट प्रशासक की विदाई वास्तव में विदाई नहीं, बल्कि उनके कर्तृत्व और व्यक्तित्व का अभिनंदन है।
नांदेड़ एज्युकेशन सोसायटी, संचालित पीपल्स महाविद्यालय नांदेड़ के 'प्राचार्य डॉ. रावसाहेब जाधव सम्मान समारोह एवं अभिनंदन गौरव-ग्रंथ प्रकाशन समारोह' का आयोजन वर्तमान समय में भी गुरु-शिष्य परंपरा को जीवित रखनेवाला उदाहरण है। प्रस्तुत समारोह के लिए संस्था के अध्यक्ष भूतपूर्व सांसद डॉ. व्यंकटेश काब्दे जी, सचिव, श्यामल पत्की, मा. चैतन्यबापु देशमुख, एवं सारस्वत अतिथि हैद्राबाद से डॉ. प्रियदर्शिनी, भूतपूर्व प्रोफेसर डॉ. रमा नवले, तथा अनेक महाविद्यालय के प्राचार्य, पीपल्स कॉलेज के विद्यमान प्राचार्य डॉ. भानेगावकर साहब, प्राध्यापक तथा डॉ. रावसाहेब जाधव सर के तमाम छात्रों की उपस्थिति उनकी लोकप्रियता का परिचय है।
डॉ. रावसाहेब जाधव अभिनंदन गौरव-ग्रंथ एवं सम्मान समारोह की भव्य सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि जब किसी व्यक्तित्व की साधना, समर्पण और संघर्ष को न केवल छात्र अपितु समाज सच्चे मन से स्वीकार करता है तो वह आयोजन मात्र कार्यक्रम न रहकर एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक पर्व का स्वरूप ग्रहण कर लेता है। समारोह के प्रत्येक क्षण में डॉ. रावसाहेब जाधव जी के प्रति गहन आदर और आत्मीयता की झलक दिखाई दी। उनके दीर्घकालीन शैक्षिक, साहित्यिक एवं सामाजिक योगदान को जिस प्रकार अभिनंदन ग्रंथ में संजोया गया है, वह न केवल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा बल्कि एक जीवंत दस्तावेज के रूप में विद्यमान रहेगा।
डॉ. रावसाहेब जाधव सेवापूर्ति समारंभ में प्रकाशित अभिनंदन गौरव-ग्रंथ उनके विविध आयामी योगदान का जीवंत दस्तावेज है। यहां यह उल्लेख करना भी समीचीन होगा कि अभिनंदन ग्रंथ "21वीं सदी का चर्चित हिंदी साहित्य" शीर्षक से प्रकाशित हुआ जिसमें लगभग 83 शोध-पत्रों को समाहित किया गया। खंड क में ‘21वीं सदी की चर्चित रचनाओं पर 62 शोध-पत्र हैं। अभिनंदन ग्रंथ हेतु देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए शोध-पत्रों में आलोचक वीरेंद्र यादव, डॉ. माधव सोनटक्के, प्रोफेसर संदीप रणभिरकर, डॉ. उर्वशी, डॉ जाहिद खान, डॉ जियाउर रहमान जाफरी, डॉ. शशिभूषण मिश्र, डॉ. अंकिता तिवारी, डॉ. जयंतीलाल बारीस के साथ अन्य शोध-पत्र तथा द्वितीय खंड में डॉ. जाधव सर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व तथा उनके जीवन-संघर्ष, उपलब्धियों और विचारों का विस्तृत चित्रण करने वाले 21 संस्मरण हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा प्रदान करते रहेंगे जिसमें प्रोफेसर रमा नवले, डॉ. रमेश कुरे, डॉ. ज्ञानेश्वर गाढ़े, डॉ. वंदन जाधव, डॉ. संतोष येरावार, डॉ. संदीप पाईकराव आदि के संस्मरणों को प्रकाशित कर बृहत ग्रंथ पाठकों के हाथ सौंप दिया जो हिंदी साहित्य-जगत के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव सिद्ध होगा। डॉ. रावसाहेब जाधव जी का यह अभिनंदन गौरव-ग्रंथ एक युगपुरुष की साधना और समर्पण का प्रमाण ही है। अभिनंदन गौरव-ग्रंथ के दोनों खंड मिलकर शिक्षा और साहित्य की उस धारा को प्रवाहित करते हैं, जिसकी जड़ें परंपरा में हैं और जिसकी शाखाएँ भविष्य की ओर बढ़ती हैं। अभिनंदन गौरव-ग्रंथ की सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि जो अध्यापक अस्थायी रूप से कार्य कर रहे हैं उन्हें संपादक मंडल के रूप में स्थान दिया जिससे निश्चित ही उन्हे प्रेरणा मिलेगी। संपादक मंडल के सभी सदस्यों को बधाई।
मंचासीन हिंदी विभाग की भूतपूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रमा नवले जी ने अपने वक्तव्य में डॉ. आर. एम. जाधव जी को हिंदी विभाग का सेतु कहकर उनके समन्वयवादी स्वभाव को स्पष्ट किया वही प्राचार्य डॉ. व्ही. एल. एरंडे जी ने 30 वर्ष के निस्वार्थ एवं निश्चल दोस्ती के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला। किसी भी प्रशासक को संस्था के सचिव एवं अध्यक्ष द्वारा सम्मान मिलना उनके कार्य का गौरव होता है जिसके हकदार प्राचार्य जाधव सर रहे। संस्था के सचिव श्यामल पत्की जी एवं अध्यक्ष डॉ. व्यंकटेश काब्दे जी के वक्तव्य से समारोह में उपस्थित सभी को इसका अहसास हुआ। अतिथियों के विचारों ने जहां डॉ. जाधव जी के कार्य की बहु-आयामी प्रस्तुत की, वहीं सारस्वत अतिथि डॉ प्रियदर्शिनी जी ने 21 वीं सदी के हिंदी साहित्य के सम्मुख कई चुनौतियों को लेकर अपनी बात रखी जिसमें उन्होंने कृत्रिम मेधाशक्ति (AI) पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने प्राचीन संदर्भों का उल्लेख करते हुए 21वीं सदी में साहित्य एवं समाज के सामने उपस्थित चुनौतियां एवं वर्तमान समय को लेकर कई प्रश्नों पर विचार करने के लिए बाध्य किया।
इस आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें समाज के सभी वर्गों की व्यापक सहभागिता रही। शिक्षाविदों, साहित्यकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, संपादक तथा सर के विद्यार्थियों ने मिलकर कार्यक्रम को उत्सव का रूप प्रदान किया। संपूर्ण व्यवस्था अनुशासित, सुव्यवस्थित और सौहार्दपूर्ण रही, जिससे समारोह की गरिमा और भी बढ़ गई। मंच पर उपस्थित सभी का सम्मान एवं उनके द्वारा डॉ. जाधव सर के प्रति रखी गई भावनाएं समारोह की महत्ता को और अधिक गहरा कर गई।
शिष्यों के मन्तव्य ने यह स्पष्ट किया है कि शिष्य अपने गुरु को केवल ज्ञानदाता ही नहीं मानते, बल्कि जीवन-दाता और मार्गदर्शक के रूप में भी देखते हैं। यही कारण है कि जब शिष्यों ने अपने प्रिय गुरु के लिए सेवा-अवकाश समारोह का आयोजन किया, तो वह केवल एक औपचारिक कार्यक्रम न रहकर स्नेह, कृतज्ञता और श्रद्धा से सजा उत्सव बन गया। हर एक शिष्य के हृदय में गुरु जाधव सर की छवि स्पष्ट रूप से झलक रही थी जिन्होंने शिक्षा के साथ-साथ संस्कार, अनुशासन और मानवीय संवेदनाओं का अमूल्य पाठ पढ़ाया था। शिष्यों के प्रेम और कृतज्ञता ने इस विदाई को एक अविस्मरणीय अवसर बना दिया है। यह सम्मान समारोह और अभिनंदन गौरव-ग्रंथ आने वाले वर्षों तक स्मरणीय रहेगा। इस समारोह की कल्पना एक छात्र के मन में आती है जिसके साथ 10 मित्र जुड़ जाते हैं और 10 मित्रों का यह कारवां 200 का कब बन गए इसका अंदाजा नहीं लगा। इस समारोह की सफलता के पीछे उन तमाम सहपाठियों अनुज एवं अग्रजो का तथा सफलता में योगदान देने वाले सभी सहयोगियों, आयोजकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करना गौरव समिति सदस्यों का कर्तव्य बनता हैं। हम सभी छात्रों की ओर से पुनः गुरु जाधव सर के स्वास्थ्य एवं भविष्य के नियोजन के लिए शत-शत शुभकामनाएं।
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