समन्वित कार्रवाई के बिना नहीं रुकेगी बच्चों की ट्रैफिकिंग- मालिनी अग्रवाल, डीजीपी
समन्वित कार्रवाई के बिना नहीं रुकेगी बच्चों की ट्रैफिकिंग- मालिनी अग्रवाल, डीजीपी
जयपुर। गुलाबी नगरी में “‘भारत में मानव दुर्व्यापार: समन्वय और रोकथाम तंत्र की मजबूती’” विषय पर राज्यस्तरीय परामर्श में वक्ताओं ने रेखांकित किया कि राजस्थान ने बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत करने के लिए कानूनों पर अमल और जवाबदेही तय करने की दिशा में अहम कदम उठाए हैं लेकिन बचाव और अभियोजन के बीच की खाई बच्चों की ट्रैफिकिंग से निपटने में अब भी बड़ी रुकावट है। परामर्श में सभी विभागों के बीच सहयोग और समन्वय की जरूरत पर जोर देते हुए पुलिस महानिदेशक ( नागरिक अधिकार एवं एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग) मालिनी अग्रवाल ने कहा, “राजस्थान में सभी विभागों के समन्वित प्रयासों से बच्चों की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है लेकिन बच्चों की ट्रैफिकिंग का मुद्दा किसी एक विभाग के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। समन्वित कार्रवाइयों से ही बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकी जा सकती है। बच्चों को मुक्त कराने के बाद हम साझा प्रयासों से उनकी देखभाल और उचित पुनर्वास सुनिश्चित कर उनका खोया बचपन लौटा सकते हैं।”
यह परामर्श जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन और राजस्थान पुलिस की नागरिक अधिकार एवं ह्यूमन ट्रैफिकिंग विरोधी शाखा के संयुक्त प्रयासों से हुआ। इस दौरान विशेषज्ञों और अधिकारियों ने बच्चों की ट्रैफिकिंग यानी बाल दुर्व्यापार, बाल विवाह और बाल श्रम के बीच मौजूद खतरनाक अंतर्संबंधों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि यदि ट्रैफिकिंग के रोजाना बदलते स्वरूपों पर प्रभावी तरीके से अंकुश लगाना है तो विभिन्न हितधारकों और विभागों के बीच आपसी समन्वय को और मजबूत करना होगा।
बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए 250 से भी ज्यादा नागरिक संगठनों का देश का सबसे बड़ा नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) 418 जिलों में काम कर कर रहा है। जेआरसी ने अपने सहयोगी संगठनों की मदद से देशभर में 1 अप्रैल 2024 से 30 अप्रैल 2025 के बीच 56,242 बच्चों को ट्रैफिकिंग गिरोहों के चंगुल से मुक्त कराया और ट्रैफिकर्स के खिलाफ 38,353 से अधिक मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की। राजस्थान में जेआरसी अपने 24 सहयोगी संगठनों के साथ 39 जिलों में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है। जेआरसी ने अप्रैल 2023 से अब तक अकेले राजस्थान में ही 30,878 बाल विवाह रोके और 8000 से अधिक बच्चों को ट्रैफिकिंग और बाल श्रम के चंगुल से मुक्त कराया। साथ ही, बाल दुर्व्यापार के 5487 मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की और यौन शोषण के शिकार 2500 से अधिक बच्चों को भावनात्मक और कानूनी सहयोग प्रदान किया।
परामर्श में राजस्थान पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (आरएसएलएसए), बाल अधिकारिता विभाग (डीसीआर), रेलवे सुरक्षा बल और राज्य में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के सहयोगी संगठन मौजूद थे।
आरएसएलएसए के सदस्य सचिव हरिओम अत्री ने कहा, "प्रत्येक बच्चा समाज की साझा जिम्मेदारी है। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है और बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में कोई ढील नहीं बरती जा सकती।"
बच्चों को मुक्त कराने के साथ ही उनके पुनर्वास पर भी उतना ही ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए डीसीआर के आयुक्त आशीष मोदी ने कहा कि सभी बाल संरक्षण तंत्रों के बीच समन्वय से बच्चों की ट्रैफिकिंग की रोकथाम संभव है। उन्होंने कहा, "बच्चों से लेकर युवाओं तक, समाज पुलिस की ओर इस उम्मीद से देखता है कि वे अपराध रोक सकते हैं। इसलिए, पुलिस और स्वयंसेवी संगठनों के संयुक्त प्रयास बच्चों के विरुद्ध अपराधों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बच्चों को मुक्त कराने के अभियानों के साथ ही हमें पुनर्वास सेवाओं को भी मजबूत करना होगा ताकि उन्हें दोबारा ट्रैफिकिंग गिरोहों के जाल में फंसने से बचाया जा सके।"
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने कहा, “भारत सरकार ने देश में ट्रैफिकिंग के खिलाफ कानूनी तंत्र को मजबूत किया है और भारतीय न्याय संहिता में कई महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़े हैं। अब आवश्यकता इन कानूनों पर प्रभावी अमल की है जिसके लिए सभी स्तरों पर सभी पक्षों की समन्वित कार्रवाई जरूरी है। ट्रैफिकिंग एक संगठित अपराध है और हमें इसे इसी दृष्टिकोण से देखना होगा। यदि हम बच्चों की ट्रैफिकिंग करने वाले गिरोहों से दो कदम आगे रहना चाहते हैं तो समयबद्ध सुनवाई, लापता बच्चों के मामलों में त्वरित कार्रवाई, सभी हितधारकों का क्षमता निर्माण और मजबूत अभियोजन तंत्र अनिवार्य है।”
इस परामर्श में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक व राजस्थान पुलिस अकादमी के निदेशक एस. सेंगाथिर, उत्तर पश्चिम रेलवे में आरपीएफ के आईजी ज्योति कुमार सतीजा, जयपुर ग्रामीण की एसपी राशि डोगरा डूडी, टीएबीएएआर, जयपुर के संस्थापक सचिव रमेश पालीवाल, डीसीआर के सहायक निदेशक मनोज आर्य, आरपीए में पुलिस निरीक्षक यतींद्र कुमार खटाना के अलावा आरएसएलएसए की उपसचिव रश्मि नवल भी मौजूद थीं।
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